प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुए और सैफी मस्जिद में समाज को संबोधित किया। पीएम के साथ मंच पर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बोहरा समाज की खूब तारीफ की। उन्होंने देश और दुनिया में अमन-चैन और इंसानियत का पैग़ाम पहुंचाने के लिए बोहरा समाज के प्रयास को सराहा। पीएम ने माताओं-शिशुओं को पोषण आहार पहुंचाने और स्वास्थ्य के लिए  बोहरा समाज की मुहिम की खुलकर तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए बोहरा समाज से सीख लेना चाहिए। लेकिन अगर इन सबके उलट देखा जाए तो इस समाज में महिलाओं का खफ्ज करने की प्रथा है। हालांकि, संख्या के लिहाज से ये काफी कम है, लेकिन इसे एक बड़ी कुरीति के रूप में देखा जाता है।

बता दें कि मुस्लिम देशों में इस प्रथा को खत्म किया जा चुका है। तीन तलाक की ही तरह इस प्रथा को भी कई मुस्लिम देशों ने खत्म कर दिया। अगर भारत की बात करें तो यह मामला चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि महिलाओं का खतना संविधान के अनुच्छेद 21 और 15 का उल्लंघन है, जो हर नागरिक को जीवनरक्षा और निजी आजादी के साथ-साथ धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव न करने की इजाजत देता है। कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल कहा चुके हैं कि महिलाओं का खतना मौजूदा कानून के तहत अपराध है।

इस मामले पर भारत के ही रहने वाले कई मुस्लिम समुदायों ने भी विरोध किया है। बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मशहूर कारोबारी जफर सरेशवाला ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में बताया कि देश और दुनिया में बोहरा समुदाय की संख्या काफी कम है और खफ्ज का चलन चुनिंदा लोगों के बीच है। बता दें कि देश में 15 लाख से ज्यादा बोहरा समुदाय के लोग हैं। इनमें शिया और सुन्नी दोनों समाज के बोहरा मुस्लिम हैं। दाऊदी बोहरा शिया मुस्लिम होते हैं, जो सूफियों और मज़ारों पर खास विश्वास रखते हैं और 21 इमामों को मानते हैं। जबकि सुन्नी बोहरा हनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं।

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