देश में पत्रकारिता की हालत वैसे भी अच्छी नहीं चल रही है। ऊपर से सरकार द्वारा तरह-तरह के नए गाइडलाइंस लाने से बची-कुची पत्रकारिता भी डगमगाने लगी है। बाजारवाद के इस दौर में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की हालत कैसी है यह सभी जानते हैं। ऐसे में नियम और कानून भी पत्रकारों के हाथ बांधने लगे तो फिर लिखने की हिम्मत कौन करेगा। हालांकि पीएम मोदी ने स्मृति ईरानी के फैसले को पलटते हुए फेक न्यूज की नई गाइडलाइंस को वापस लेने के निर्देश दे दिए हैं। पीएमओ ने पूरे मामले में दखल देते हुए स्मृति इरानी के मंत्रालय से कहा है कि फेक न्यूज को लेकर जारी की गई प्रेस रिलीज को वापस लिया जाना चाहिए।

पीएम ने साफ किया है कि ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज से जुड़े सभी मामले भारतीय प्रेस परिषद (PCI) में देखे जाएंगे। बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा था कि पत्रकारों की मान्यता के लिए संशोधित दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाए जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिए निलंबित की जाएगी और दूसरी बार ऐसा करते पाए जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी।

वहीं तीसरी बार उल्लंघन करते पाए जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी।

इस फैसले के बाद विपक्षियों ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया था। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि पत्रकारों को खुलकर न्यूज़ रिपोर्टिंग करने से रोकने की मंशा से ये कदम उठाया गया है। वहीं कई लोगों ने इसे पत्रकारिता की आजादी के खिलाफ बताया। हालांकि पीएमओ के तरफ से स्मृति ईरानी के मंत्रालय को दिशा-निर्देश वापस लेने का आदेश दिया गया है।  पीएमओ ने कहा कि यह पूरा मसला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए। पीएमओ ने कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ प्रेस काउंसिल को ही सुनवाई का अधिकार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here