आज धन्वंतरि जंयती है और इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश को पहला ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद समर्पित किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया भर में लोग एक बार फिर प्रकति की तरफ लौट रहे हैं और धन्वंतरि जंयती को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने और इस संस्थान की स्थापना के लिए आयुष मंत्रालय को साधुवाद।

बता दें कि पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन दिल्ली के सरिता विहार में किया। एआईआईए की स्थापना 10 एकड़ क्षेत्र में की गई है और इस पर 157 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह एनएबीएच से मान्यता प्राप्त अस्पताल है और इसमें एक एकेडिमिक ब्लॉक भी है

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ‘आज हम सभी आयुर्वेद दिवस पर एकत्रित हुए हैं। 21 जून को लाखों की संख्या में बाहर निकलकर लोग योग दिवस मनाते हैं तो अपनी विरासत के इसी गर्व से भरे होते हैं। जब अलग-अलग देशों में उस दिन लाखों लोग योग करते हैं तो लगता है कि लाखों लोगों को जोड़ने वाला योग भारत ने विश्व को दिया है।’

एम्स के तर्ज पर बने इस संस्थान के बारे में और आयुर्वेद की महत्वता के बारे में बात करते हुए पीएम ने देश को इतिहास को याद रखने को कहा। पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी देश विकास के लिए कितना प्रयत्न करे लेकिन अपने इतिहास को कभी नहीं भूलना चाहिए। अपनी विरासत छोड़ कर आगे बढ़ने वालों की पहचान खत्म हो जाती है।

पीएम ने कहा आर्युवेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धित नहीं है, इसके दायरे में सामाजिक स्वास्थय और सांस्कृतिक स्वास्थय भी आते हैं। पीएम ने कहा कि देश के हर जिले में आर्युवेद से जुड़ा अस्पताल हो, इस दिशा में सरकार काम कर रही है।

पीएम ने कहा इसके लिए हमें आयुर्वेद को और मजबूत बनाने की जरूरत है। आयुर्वेद विशेषज्ञों को ऐसी दवायें खोजने की जरूरत है जो मरीजों को तत्काल राहत दें और दुष्प्रभावों को दूर रखें। मैं निजी क्षेत्र से भी अनुरोध करूंगा कि वे कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व कोष का इस्तेमाल आयुर्वेद को मजबूत बनाने में करें।

गौरतलब है कि इस दिशा में आयुष मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है और तीन वर्षों में ही 65 से ज्यादा आयुष अस्पताल विकसित किए जा चुके हैं। हर्बल दवाइयों का आज विश्व में एक बड़ा मार्केट तैयार हो रहा है। भारत को इसमें भी अपनी पूर्ण क्षमताओं का इस्तेमाल करना होगा। हर्बल और मेडिसिनल प्लांट्स कमाई का बहुत बड़ा माध्यम बन रहे हैं।

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