पाकिस्तान भले ही भारत को हमले की गीदड़ धमकी देता रहता है लेकिन उसकी आंतरिक स्थिति ऐसी है कि वो किसी के साथ भी युद्ध करने लायक नहीं है। वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे तेल के दाम और बढ़ती महंगाई के कारण पाकिस्तान का हाल बेहाल है। खास बात ये है कि ऐसी हालत में उसके सबसे गहरे दोस्त चीन ने भी उसका साथ छोड़ दिया है। ऐसे में पाकिस्तान की आर्थिक तंगहाली उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास ले गई है। बुरी तरह कर्ज के जाल में फंसे पाकिस्तान ने अपना आर्थिक संकट टालने के लिए आईएमएफ से अब तक का सबसे बड़ा ऋण पैकेज मांगा है। पाकिस्तान ने आईएमएफ से 8 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है।

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था डिफॉल्ट के कगार पर खड़ी है और इसे बचाने के लिए वहां की सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रही है। पाकिस्तानी अखबार द डॉन में प्रकाशित खबरों के मुताबिक वहां के वित्त मंत्री असद उमर ने कहा है, ‘मौजूदा हालात का जायजा लेने और मशहूर अर्थशास्त्रियों से चर्चा करने के बाद सरकार ने आईएमएफ के पास जाने का फैसला किया है।’

बताया जा रहा है कि  अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ा है और एशियाई देशों में पाकिस्तान इसका सबसे बड़ा शिकार हुआ है। तेल की कीमतों में हुए इजाफे की वजह से पाकिस्तान के आयात बिल में इजाफा हुआ है और इसका सीधा असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा है।

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