अयोध्या विवाद सुलझने के बजाए और उलझता जा रहा है। अब इसके तार अय़ोध्या से पाकिस्तान तक पहुंच गए हैं। जी हां, शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सईद वसीम रिजवी ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की वजह से अयोध्या विवाद सुलझ नहीं पा रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले निष्पक्ष भाव से दोनों पक्षों को न्याय दिलाने के बजाए पाकिस्तान के उंगलियों पर नाच रहे हैं। पाकिस्तान अयोध्या विवाद पर फंडिंग कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाक चाहता है कि अयोध्या विवाद कभी न सुलझे और इस मुद्दे पर भारत में अस्थिरता का माहौल पैदा हो जाए। वहीं अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कहा है कि वे 10 दिनों के भीतर दो जजों को ऑब्जर्वर नियुक्त करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन दो जजों में जिला जज, अतिरिक्त जज या फिर स्पेशल जज हो सकते हैं।

saiyad wasim rizwiरिजवी ने बताया कि देश के मुसलमान सच्चे देशभक्त हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान की कठपुतली बनें हुए हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद का निपटान आपसी सलाह-मशवरा से होना चाहिए। इसमें देश के सभी मुसलमानों की रजामंदी होनी चाहिए। उनका कहना है कि विवादित जमीन पर मंदिर का निर्माण करना चाहिए और वहां से कुछ दूरी पर जहां मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है वहां पर सरकार को मस्जिद के लिए जमीन आवंटित कर देना चाहिए। ऐसा करने से दोनों समुदाय खुश भी रहेंगे और लंबे समय से चला आ रहा ये विवाद आसानी  से सुलझ जाएगा।

बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि विवादित जमीन में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाना गलत है क्योंकि वो जमीन उनकी है ही नहीं। इस जमीन पर मिया बकी का अधिकार था जो कि एक शिया थे। साथ ही उन्होंने कहा कि आजादी से पहले इस जमीन का स्वामित्व शिया के पास था लेकिन अंग्रेजों ने इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया। हालांकि उनका कहना था कि जमीन किसी के पास भी हो लेकिन इस जमीन को राम मंदिर बनवाने के लिए दे देना चाहिए और मुस्लिमों को अलग से मस्जिद बनाने के लिए सरकार से अनुमोदन लेना चाहिए। याद दिला दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर अंतिम सुनवाई शुरू करने के लिए पांच दिसंबर की तारीख तय की है इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और एसए नजीर की सदस्यता वाली पीठ ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया है कि वे अगले 12 हफ्तों में इसकी सुनवाई के दौरान जरूरी सभी दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद करा लें। अभी ये दस्तावेज आठ अलग-अलग भाषाओं में हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here