राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी और घटक दल अपने उम्मीदवार के रूप में बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान कर चुके हैं। कोविंद का नाम सामने आने के बाद पक्ष और विपक्ष अपनी प्रतिक्रिया देने में लगे हैं। कोई इसे बीजेपी का दलित कार्ड बता रहा है तो कोई इसे आडवाणी और जोशी जैसे बड़े नेताओं का अपमान लेकिन इन सब के बीच जब बात चुनाव में कोविंद को समर्थन देने की आती है तो विपक्षी एकजुटता की बात करने वाला विपक्ष अभी तक किसी फैसले पर पहुँचता नजर नही आ रहा है।

Nitish has given support to Kovind, Lalu and Congress's troublesराष्ट्रपति चुनाव के लिए बढ़ी सरगर्मियों और बीजेपी उम्मीदवार के ऐलान के बाद आज विपक्षी एकता की बात करने वाले नितीश कुमार ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही कोविंद के राष्ट्रपति बनने का रास्ता लगभग साफ़ हो गया है। बीजेपी के धुर विरोधी माने जाने वाले नितीश के बारे में माना जा रहा था की वह समर्थन या विरोध के लिए लालू की राजद और कांग्रेस का रुख समझने का बाद ही फैसला लेंगे। लेकिन उनके लिए जो सबसे बड़ा संकट था वह था कि कोविंद बिहार के राज्यपाल थे और राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है। इसके अलावा उनका दलित होना भी नितीश को उनका विरोध करने से रोकने की एक वजह मानी जा रही है। नितीश ने यह फैसला आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक में लिया है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा होनी अभी होनी बाकी है।

नितीश से पहले तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) के नेता और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने सोमवार को ही कोविंद को अपना समर्थन दे दिया था। नवीन पटनायक की बीजद भी कोविंद को समर्थन दे चुकी है। इसके अलावा वाईएसआर कांग्रेस और शिवसेना ने भी समर्थन का ऐलान कर दिया है। ऐसे में रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना अब लगभग तय हो चुका है।

नितीश के बीजेपी उम्मीदवार कोविंद को समर्थन देने के बाद चर्चाओं का बाज़ार एक बार फिर गर्म हो गया है। हाल फ़िलहाल नितीश और प्रधानमंत्री की क़रीबी भी चर्चा का विषय रही थी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में बिहार की महागठबंधन की सरकार में दरार देखने को मिल सकती है। साथ ही नितीश एक बार फिर अपने पुरानी सहयोगी बीजेपी का रुख कर सकते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले जदयू-बीजेपी का गठबंधन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बाद टूट गया था। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच काफी तल्खी भी देखने को मिली थी लेकिन बदलते वक़्त में अब सब कुछ ठीक नजर आ रहा है और इसे राजनीति में बदलाव की आहट के तौर पर महसूस किया जा रहा है।

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