उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बड़ी जीत और पहली बार मणिपुर में बेहतरीन प्रदर्शन कर सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी अब आने वाले विधानसभा की चुनावी तैयारी में लग गई है। इस वर्ष हुए 5 राज्यों के चुनावों दो राज्यों में बीजेपी को बहुमत मिला और दो राज्य गोवा और मणिपुर में अन्य दलों के सर्मथन से बीजेपी ने अपनी सरकार बना ली है। पंजाब को छोड़कर बीजेपी बाकी के चार राज्यों में अपनी  हुकूमत जमा चुकी है। भाजपा देश मे चल रहे इस मोदी लहक को बरकरार रखना चाहती है और उस लहर का असर आने वाले चुनावों मे भी जारी रखना चाह रही है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्रीमंडल में बदलाव कर सकते हैं। हालांकि, बताया यह भी जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल के पीछे एक अहम कारण महत्वपूर्ण पदों का रिक्त होना और कुछ नये चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करना है।

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, इस साल के अंत तक हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने हैं। वहीं, अगले साल यानी वर्ष 2018 के मई में कर्नाटक और नवंबर-दिसंबर तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में चुनाव होना है। इस वक्त मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में तो भाजपा की सरकारें हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता कायम है। ऐसे में भाजपा की नजरें इन दोनों राज्यों में अपनी सरकार बनाना और बाकी के राज्यों में अपनी सत्ता को बनाए रखने की चुनौती होगी।

वर्तमान समय मे मनोहर पर्रिकर के गोवा वापस जाने के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री का अतिरिक्त प्रभार अरूण जेटली को दिया गया है। ऐसे में वित्त और रक्षा दोनों मंत्रालय का प्रभार आने पर अरूण जेटली पर काम का बोझ बढ़ गया है। हालांकि 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी जेटली के पास थी। इसके बाद पर्रिकर को गोवा से बुलाकर रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। एक तरफ जहां जेटली को वित्त मंत्री की जिम्मेदारी उठानी है, वहीं उन्हें रक्षा मंत्री होने के नाते इस क्षेत्र के लिए वित्तीय मांग करनी है, जिससे वह बेहद जटिल परिस्थिति के बीच फंस गये हैं। दूसरी तरफ सुषमा स्वराज के किडनी ट्रांसप्लांट के कारण विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी उनकी जगह किसी और को देने की भी अटकलें हैं। हालांकि, बुधवार को तीन महीने के बाद लोकसभा लौटीं सुषमा बेहद सहज नजर आयीं। उन्होंने 15 मिनट का भाषण दिया और पूरे भाषण के दौरान खड़ी रहीं।

मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार पीएम मोदी इस सभी समस्याओं पर विचार कर रहें हैं और इसी के मद्देनजर 12 अप्रैल को संसद का बजट सत्र खत्म होने के बाद किसी भी दिन केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल को अंजाम दिया जा सकता है।

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