इंफोसिस इन दिनों अपने सीईओ की तलाश में जुटा है। विशाल सिक्का के इस्तीफा देने के बाद यह आईटी कंपनी काफी समस्याओं से जूझ रही है। सिक्का के जाने के बाद दो सत्रों में कंपनी का शेयर 15 प्रतिशत टूट गया था और उसके बाजार पूंजीकरण में 34,000 करोड़ रुपये की कमी आई थी। इसीलिए निवेशकों ने कंपनी के वर्तमान स्थिति पर चिंता जताते हुए पूर्व सीईओ और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी का नाम सीईओ पद के लिए उपयुक्त बताया है। निवेशकों का मानना है कि नीलेकणी को वापस लाने से ही कंपनी की वर्तमान स्थिति सुधरेगी और लोगों में भरोसा कायम किया जा सकेगा।
खबर के मुताबिक नीलेकणि भी इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और उन्होंने अपने 2 महीने के अमेरिकी दौरे को स्थगित कर दिया है। बता दें कि आधार कार्ड बनाने वाली संस्था यूआईएडीएआई के कर्ताधर्ता नीलेकणी इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति के खास दोस्त हैं। यही नहीं सिक्का के जाने के बाद किसी भी नए सदस्य का सीईओ बनने का राह आसान नहीं होगा क्योंकि किसी के लिए भी कंपनी के संस्थापकों की निगरानी में काम करना मुश्किल होगा। वहीं नीलेकणि तो स्वयं ही सह-संस्थापक हैं।
नीलेकणि सन् 2002 से 2007 तक इंफोसिस के सीईओ रह चुके हैं। लेकिन 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) जॉइन करने के लिए उन्होंने इंफोसिस से दूरी बना ली। बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। उन्होंने 2014 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा जिसमें उनको कामयाबी नहीं मिल पाई।
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