म्यांमार में तख्तापलट के बाद जनता सेना के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है। पड़ोसी देश म्यांमार में 21 फरवरी से ही जनता और सेना आमने सामने है। प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है या गोलियों से भून दिया जा रहा है। वहीं आम जनता के साथ आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकारों को बंदी बनाया जा रहा है।

रविवार को जतना और सेना के बीच जबरदस्त संर्घष रहा। यंगून में प्रदर्शकारियों ने एक चाइनीज फैक्ट्री में आग लगा दी जिसके बाद म्यांमार सेना ने जनता पर अंधाधुन फायरिंग करनी शुरू कर दी इसमें 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। वहीं कई लोग जख्मी बताए जा रहा है। म्यांमार की एक निजी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 125 लोगों की मौत हो चुकी है। छह हफ्तों से चल रहा आंदोलन में रविवार को सबसे भयंकर माहौल रहा।

मिली जानकारी के अनुसार देश में मरने वाले की संख्या में अभी इजाफा हो सकता है। क्योंकि , लाशे अभी भी सड़कों पर पड़ी हैं। उनकी काउंटिंग नहीं की गई है। सेना और जनता के बीच अभी भी संघर्ष जारी है। इस भयानक मंजर को देखने के बाद दुनिया में चिंता का माहौल बनते जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने म्यांमार की सेना को आदेश देते हुए कहा कि, सेना जल्द से जल्द सत्ता को चुनी हुई सरकार के हाथ में सौंप दे।

गौरतलब है कि, 1 फरवरी को पूरे म्यांमार में एक साल के लिए इमरजेंसी घोषित की गई थी। यहां पर सेना ने वास्‍तविक नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को गिरफ्तार कर लिया है। देश में तख्तापलट हुआ है। तख्तापलट का विरोध देश की जनता के साथ इंटरनेशनल लेवल पर भी किया जा रहा है।

बता दें कि, म्यांमार में लंबे समय से राज करने वाली आर्मी ने फिर जनता को अपना गुलाम बना लिया है। साल 1962 से लेकर साल 2011 तक आर्मी की यहां पर सत्ता थी। साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में ‘नागरिक सरकार’ बनी। जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला।एक बार फिर जनता देश को सेना के चंगुल से छुड़ाने के लिए सड़कों पर है।

सेना के खिलाफ जनता का प्रदर्शन और म्यांमार की सेना का क्रूरता कवर कर रहे कई पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया है। अब तक 6 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। इनपर सार्वजनिक आदेश कानून के उल्लंघन का आरोप लगा है। इस कानून के तहत तीन साल तक की कैद हो सकती है। म्यांमार में तख्तापलट के बाद से कम से कम 20 से अधिक पत्रकारों को हिरासत में लिया जा चुका है।

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