हफ्तेभर पहले मालदीव की कमान संभालने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद इब्राहिम सोलिह की सरकार और चीन अब आमने-सामने है। इब्राहिम सोलिह की भारत से करीबी को देखते हुए चीन चिढ़ा हुआ है और उसने मालदीव की नई सरकार को 3.2 अरब डॉलर का इनवॉइस सौंपी है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने दावा किया है कि मालदीव पर चीन का कर्ज 3.2 अरब डॉलर (करीब 22,611 करोड़ रुपये) है। नशीद मौजूदा राष्ट्रपति सोलिह के सलाहकार भी हैं।

बता दें, इस मालदीव की आबादी लगभग 4 लाख है और यह आइसलैंड अपने सफेद रेत के समुद्र तटों और नीले पानी के लिए जाना जाता है। वहीं मालदीव के नए राष्ट्रपति सोलिह प्रशासन का कहना है कि देश की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब है। राष्ट्रपति की मानें तो मालदीव पर चीन का वास्तविक कर्ज कितना है ये उनकी सरकार को अभी तक सही से पता नहीं चल पाया है।

खबरों की मानें तो चीनी राजदूत झांग लिझोंग ने 3.2 अरब डॉलर का इनवॉइस थमाया है, इस अनुसार से मालदीव के हर नागरिक पर चीन का 8 हजार डॉलर यानी करीब 5,65,400 रुपये का कर्ज है। नशीद ने इसे चौंकाने वाला बताया है। वहीं दूसरी ओर चीन से मालदीव के दावों को खारिज कर दिया है। चीन का कहना है कि मालदीव पर उसका कर्ज 1.5 अरब डॉलर (करीब 10,601 करोड़ रुपये) के आसपास है। गौरतलब है कि मालदीव अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से भारत और चीन दोनों के लिए बहुत अहम है। इस साल सितंबर में हुए चुनाव में चीन समर्थक अब्दुल्ला यामीन की हार हुई और भारत समर्थक माने जाने वाले मोहम्मद सोलिह की पार्टी ने जीत दर्ज की है।

बता दें, मालदीव को अपने पाले में करने के लिए चीन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए जमकर कर्ज दिया है। राजधानी माले को एयरपोर्ट से जोड़ने वाले सी ब्रिज, एयरपोर्ट के विस्तार और कुछ रेजिडेंशल टावर ब्लॉक बनाने के लिए चीन ने बड़ा कर्ज दिया है। दरअसल मालदीव की नई सरकार और भारत के बीच बढ़ती नजदीकियों से चीन बौखला गया है. नई सरकार शपथ ग्रहण समारोह में बुलावे पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी पहुंच गए थे। नरेंद्र मोदी का पीएम के तौर पर यह पहला मालदीव दौरा था। पीएम मोदी ने कहा था, हमारी इच्छा स्थाई, लोकतांत्रिक, संपन्न और शांतिपूर्ण मालदीव देखने की है।

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