केंद्र की कैबिनेट ने 1 मई से गाड़ियों पर लाल बत्ती लगाने से प्रतिबंध लगा दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले का कई नेताओं ने स्वागत किया तो नाखुश भी दिखे। उनके नाराज होने की वजह सिर्फ उनके पास से वीआईवी स्टेटस का छिन जाना और उनके रुतबे में कमी आना है। यह फैसला आते ही बिहार के मंत्रिमंडल में अफरातफरी मच गई।

बिहार में जब लाल बत्ती लगाने को लेकर पड़ताल की गई तो पता चला कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव के सरकारी वाहन पर लाल बत्ती नहीं लगी हुई है। जबकि इनके अलावा मंत्रिमंडल में मौजूद कई मंत्रियों के सरकारी वाहन पर लाल बत्ती देखने को मिली। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाड़ी पर पहले से ही लाल बत्ती नहीं जलती है। मंत्रियों के अलावा बिहार विधानमंडल की 58 विभिन्न कमेटियों के सभापति की सरकारी गाड़ियों से भी लाल बत्ती हटाई जाएंगी।

केंद्र के इस फैसले के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि वह तो हमेशा ही वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ हैं। जनता की सेवा करना अहम काम है, न कि वीआईपी स्टेट्स दिखाना। इधर, गिरिराज सिंह ने तुरंत अपनी गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी। जबकि, इस फैसले से बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव और ग्रामीण विकास मंत्री शैलेश नाराज दिखे। विजेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला राज्य सरकारों पर मान्य नहीं है।

गिरिराज सिंह ने अपनी गाड़ी से तुरंत लाल बत्ती हटा दी। गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह एक और जन उपयोगी बड़ा फैसला है। इससे देश में वीआईपी कल्चर खत्म होगा और आम लोगों को अधिक सुविधा मिल सकेगी। इस फैसले से रास्ते में चलने वाले एंबुलेंस को परेशानी नहीं उठानी होगी। वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के ड्राइवर ने मीडिया को देखते हुए सरकारी गाड़ी से लाल बत्ती को हटा दिया। हालांकि यह आदेश केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के लिए है और राज्य इस मसले पर अपने मुताबिक फैसले लेने को स्वतंत्र है लेकिन वीवीआईपी कल्चर को ख़त्म करने के इस फैसले की हो रही सराहना और लोगों का समर्थन देखने के बाद कोई भी दल इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता लेकिन बत्ती को लेकर मंत्रियों के मन में जो मोह है वो बाहर आ ही गया।  

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