पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। सोमवार की सुबह जब वहां सूरज उदय हुआ तो पूरे देश पर तालिबान की हुकूमत थी। देश में सूरज पहले की तरह उगता है और डूब भी जाता है लेकिन वहां की जनता की जिंदगी से रौशनी खत्म हो गई है। महिलाओं को गुलामी के दलल में धकेल दिया गया है। सत्ता हस्तांतरण होते ही उनके अधिकारों को खत्म कर दिया गया।
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा देख पूरी दुनिया चिंतित है। खास कर महिलाओं के अधिकारों की चिंता हो रही है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश भी चिंतित हैं। इस बीच कई इस्लामिक देशों ने तालिबान का स्वागत किया है। इस सूची में भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान सबसे ऊपर है। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि, अफगानिस्तान ने गुलामी की जंजीरे तोड़ दी हैं।
पाकिस्तान
प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ”अफगानिस्तान ने गुलामी की जंजीरें तो तोड़ दी, लेकिन जो जहनी गुलामी की जंजीरे हैं वो नहीं टूटती।”
इतनी ही नहीं पाकिस्तान में कई धार्मिक पार्टियों ने तालिबान का स्वागत किया है। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा देख वहां पर मिठाईयां बाटी गई हैं।
चीन
अफगानिस्तान पर बंदूकतंत्र का राज देख वहां के विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी की है। विदेश मंत्रायल की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि, चीन अफगानिस्तान के लोगों का अपने भाग्य और भविष्य का फैसला करने के अधिकार का सम्मान करता है। उन्होंने आगे कहा चीन तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध बनाना चाहता है। चुनयिंग ने कहा, चीन अफगानिस्तान में शांति और पुननिर्माण के लिए रचनात्मक भूमिका अदा करना चाहता है।
ईरान
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने तालिबान के राज पर मंगलवार को टिप्पणी करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में फौज की शिकस्त और अमेरिका की वापसी को शांति और सुरक्षा की बहाली के एक मौके के तौर पर देखा जाना चाहिए। रईसी ने भी सीधे तौर पर नहीं बल्कि दाएं बाएं से तालिबान का स्वागत किया है।
तुर्की
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तेयेब अर्दोआन ने 16 अप्रैल को एक बयान जारी कर कहा था कि हमारी नजर में, तालिबान का रवैया वैसा नहीं है, जैसा एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान के साथ होना चाहिए।” उन्होंने तालिबान से अपील की थी कि वो दुनिया को जल्द से जल्द दिखाए कि अफगानिस्तान में शांति बहाल हो चुकी है। बता दें कि पाकिस्तान और तुर्की गहरे मित्र हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि तुर्की तालिबान का साथ देने में पीछे नहीं हटेगा।
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात
दोनों देश तालिबानतंत्र में पूरी तरह से खामोश हैं। इनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। बता दें कि तालिबान को अफगानिस्तान में खड़ा करने में अहम योगदान सऊदी अरब ने ही दिया है।
कतर
कतर को अफगानिस्तान में तालिबान कब्जे के बाद कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि तालिबान का राजनीतिक दफ्तर कतर के दोहा में ही है। यह दुनिया का सबसे छोटा देश है।
उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ताजिकिस्तान
मध्य ऐशिया के तीनों देश अफगानिस्तान के बुरे हाल से प्रभावित होते रहते हैं। तालिबान के डर से अक्सर अफगानी नागिरक तीनों देशों में शरण के लिए जाते रहते हैं।
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