पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या की हो सकती है सीबीआई जांच

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Pandit Deendayal Upadhyay

भारतीय जनसंघ  के सहसंस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या के 50 साल पुराने मामले की सरकार सीबीआई जांच करा सकती है। यूपी के आंबेडकर नगर के एक  बीजेपी कार्यकर्ता के पत्र पर गृह मंत्रालय ने यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। इसी पत्र के आधार पर इलाहाबाद के एसपी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट रेलवे के आईजी को सौंप दी है।कहा जा रहा है कि यह रिपोर्ट एक-दो दिनों में शासन को भेजी जाएगी।

अधिकारियों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने जिस प्रकार से रिपोर्ट मांगी है, इस तरह की प्रक्रिया किसी मामले की सीबीआई जांच से पहले अपनाई जाती है। अधिकारी अब पांच दशक पुराने इस मामले में किसी ऐसे पुलिसकर्मी की तलाश कर रहे हैं, जो उस समय घटना के वक्त तैनात रहा हो।

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि 11 फरवरी 1968 को मुलसराय स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या से जुड़ी एफआईआर, केस डायरी जैसे दस्तावेज गायब हैं। थाने में मिले एक रजिस्टर से पता चला है कि इस मामले में वाराणसी निवासी रामअवध, लालता और भरतराम को गिरफ्तार किया गया था। भरतलाल को जून 1969 में आईपीसी की धारा 379/411 के तहत चार साल की सजा सुनाई थी, बाकी दो बरी हो गए थे।

दरअसल, आंबेडकर नगर के पूर्व बीजेपी मंडल मंत्री राकेश गुप्ता ने 6 नवंबर 2017 को केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था। इसमें पटना जाते समय स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या को विरोधी दलों की साजिश बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी। हत्या के तार पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली और बिहार से जुड़े होने की बात कही गई। पत्र में आरोप लगाया गया था कि हत्या के बाद न कानूनी कार्यवाही का पालन किया गया, ना ही पोस्टमॉर्टम कराया गया था।
गृह मंत्रालय ने इसी पत्र के आधार पर नवंबर 2017 में यूपी सरकार से रिपोर्ट तलब की थी। अब एसपी (रेलवे) ने रिपोर्ट रेलवे के आईजी को सौंप दी है।

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