राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने आज कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को राम मंदिर की याद पिछले साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में कभी नहीं आयी और अब चुनाव के नजदीक आते ही वह मंदिर का मुद्दा उठाकर देश के लोगों को गुमराह करने में लगी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ने और केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कुशवाहा पहली बार यहां पार्टी की ओर से आयोजित मिलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे पर काम कर रही है। भाजपा सरकार ने अपने साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बात नहीं की लेकिन अब अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के चुनाव में कुछ ही माह बचे हैं और इसी में लाभ लेने के लिए राम मंदिर का मुद्दा जानबूझ कर उठाया जा रहा है। देश के लोगों को मंदिर निर्माण के नाम पर गुमराह करने की साजिश की जा रही है।

कुशवाहा ने कहा कि केन्द्र में अब फिर से भाजपा की अगुवाई में राजग की सरकार बनने वाली नहीं है। होने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार में सभी 40 सीटों पर राजग का खाता खुलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि राजग का जब बिहार में ही खाता नहीं खुलेगा तो फिर श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने की बात ही नहीं उठती है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी रालोसपा को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है। उन्होंने राजग के घटक जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री फिर से बनने से रोकने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री कुमार की पार्टी को जनता फिर से बिहार की सत्ता में नहीं आने देगी।

कुशवाहा ने कहा कि बिहार की जनता श्री कुमार के नेतृत्व वाली राजग सरकार को काम करने का अवसर दिया लेकिन लोग अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। बिहार की जनता को पढ़ायी, दवाई और कमाई चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में पढ़ायी तो भगवान के भरोसे चल रही है और उसी तरह स्वास्थ्य सेवाओं का भी बुरा हाल है। उनकी पार्टी ने शिक्षा में सुधार के लिए राज्य सरकार को 25 सूत्री मांग पत्र सौंपा था जिस पर अमल नहीं किया गया।

रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि राजग वर्ष 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था उस समय भाजपा से पहले उन्होंने ही श्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत की थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी से मिलकर वह जानना चाहते थे कि जिन्होंने (नीतीश कुमार) भाजपा से मिलने पर मिट्टी में मिल जाने का बयान दिया था उनसे कैसे हाथ मिला लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि बिहार के विकास की बात करने वाला नीच है तो ऐसे में श्री कुमार का उन्हें नीच कहना स्वीकार है।

इससे पूर्व मिलन समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बिहार के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष उदय सम्राट और जदयू नेता अमजद खान अपने-अपने समर्थकों के साथ रालोसपा में शामिल होने की घोषणा की। इसके बाद शामिल हुए नेताओं और उनके समर्थकों को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायी गयी।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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