मध्य प्रदेश के मंदसौर से शुरू हुआ किसान का आंदोलन धीरे-धीरे देश के अलग-अलग राज्यों को अपने चपेट में लेता जा रहा है। महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में किसान आंदोलन की चिंगारी पहुंच रही है। कर्जमाफी और कृषि की अन्य समस्याओं से परेशान किसानों ने मध्यप्रदेश के मंदसौर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया लेकिन इस दौरान पुलिस की तरफ से हुई गोलीबारी में 6 किसानों की मौत हो गई। जिसके बाद किसानों के इन आंदोलन ने हिंसात्मक रूप ले लिया और हिंसा की आग में पूरा मध्य प्रदेश जलने लगा। हिंसा की इस आग में कुछ राजनीतिक पार्टियां और राजनेता अपनी सियासी रोटियां सेंकने का काम कर रहे हैं जो बेहद शर्मनाक बात है।
शिवराज पहुंचे मंदसौर
बहराल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज यानि बुधवार को मंदसौर गए हुए हैं। मंदसौर के बड़वन गांव में वो पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिजनों से मिले। सीएम के मंदसौर जाने से पहले वहां लागू धारा 144 हटा ली गई है। सीएम के आने से पहले गांव के किसानों ने अपनी कुछ मांगे रखी हैं। साथ ही किसानों ने शिवराज से मिलने के बाद कहा कि उन्हें नौकरी नहीं इंसाफ चाहिए। दोषियों को सजा होनी चाहिए। एक मृतक किसान की पत्नी ने अपने राज्य के मुख्यमंत्री से कहा मुझे मेरा पति वापस लाकर दो।
परिजनों से सीएम से की मांग
- परिजनों का कहना है कि सरकार घनश्याम धाकड़ के 5 वर्षीय बेटे और 2 महीने की बेटी की पूरी जिम्मेदारी लें। सरकार बच्चों के पढ़ाई की जिम्मेदारी ले।
- परिजनों ने मांग की है कि सरकार उन पुलिसवालों पर आपराधिक केस दर्ज करें जिन्होंने घनश्याम की पिटाई की।
- गांववालों ने मांग की है कि गांव के जिन अन्य किसानों को जेल में बंद किया गया है उन्हें छुड़ाया जाए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और हार्दिक पटेल गिरफ्तार
आपको बता दें कि इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी मंदसौर गए थे लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। सिंधिया को रतलाम जिले के ढोढर इलाके में रोका गया था, वह किसानों से मिलने मंदसौर जा रहे थे। मंदसौर जाने से पहले सिंधिया ने कहा कि हम लोग उन्हें बेनकाब करने आए हैं। रक्षक जब भक्षक बन जाए और फिर उपवास पर बैठ जाए तो ये उपवास नहीं उपहास होता है। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार से यह सवाल पूछना जरूरी है कि वो जब चाहे मंदसौर जा सकते हैं तो राज्य और देश के अन्य नेता को वहां जाने की इजाजत क्यों नहीं है। अब कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को भोपाल जाकर 72 घंटे के लिए सत्याग्रह शुरू कर दिया है।
एमपी में 24 घंटे में तीन किसान ने की आत्महत्या
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 24 घंटे के अंदर तीन किसानों ने खुदखुशी कर ली है। म.प्र. के विदिशा के शम्साबाद में हरि सिंह जाटव, होशंगाबाद जिले के सियोनी मालवा गांव में माखनलाल ने कर्ज में दबे होने की वजह से आत्महत्या कर ली। इससे पहले सोमवार को ही रेहटी तहसील में आने वाले ग्राम जाजना निवासी दुलचंद (55) पिता गोविन्द कीर ने छह लाख रुपए के कर्ज से तंग आकर जहर खाकर मौत को गले लगा लिया था। आच्शर्य की बात है कि इन तीनों किसानों में से किसी के पास भी अभी तक सीएम शिवराज सिंह चौहान नहीं पहुंचे हैं जबकि आत्महत्या करने वाले इन तीन किसानों में से एक किसान सीएम के इलाके का ही है।
किसानों की मुख्य समस्या
वहीं किसान नेता और विशेषज्ञ लगातार कह रहे हैं कि किसानों के कर्ज माफ करने से काम नहीं चलेगा। कर्ज माफ होने के कुछ दिनों बाद ही किसान दोबारा से घाटे में चले जाता है और उसे फिर से कर्ज लेना पड़ जाता है। इस देश में कृषि शुरू से ही घाटे का व्यापार रहा है। इसका मुख्य कारण है किसानों की लागत से कम उत्पादन मूल्य मिलना। किसान अपनी फसल को उगाने के लिए जितनी लागत लगाता है उतना भी उसे उत्पादन मूल्य के रूप में वापस नहीं मिल पाता जिसकी वजह से उसे कर्ज वापस नहीं कर पाता और फिर उन्हीं में से कुछ किसान आत्महत्या कर बैठते हैं।