तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और ममता बनर्जी के दाहिने हाथ माने जाने वाले मुकुल रॉय ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका देते हुए पार्टी छोड़ दी है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय ने सोमवार को घोषणा की है कि वे दुर्गापूजा के बाद पार्टी और राज्यसभा दोनों से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन इस्तीफे का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। रॉय ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि दुर्गापूजा के बाद इस बात का खुलासा करेंगे कि वह इस्तीफा क्यों दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत दु:खी मन से घोषणा कर रहा हूं कि मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगा। मैं इस्तीफे की औपचारिक घोषणा दुर्गापूजा के बाद करूंगा।

इस्तीफे के बाद यह बात तो साफ हो गई है कि ममता बनर्जी की पार्टी में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। जब 19 सितंबर को टीएमसी की पत्रिका जय बंगला के दुर्गा पूजा संस्करण के दौरान रॉय कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। टीएमसी ने हाल ही में कहा था कि पार्टी उनकी सभी गतिविधियों पर निगाह रख रही है। टीएमसी ने अभी कुछ ही दिन पहले पार्टी में पुनर्गठन के बहाने रॉय को उपाध्यक्ष पद से हटा दिया था। इससे पहले भी मुकुल रॉय को पार्टी के त्रिपुरा प्रभारी पद से हटा दिया गया था।

वहीं, कुछ दिन पहले भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस के अलग-थलग पड़े नेता मुकुल रॉय उनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं लेकिन रॉय ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा कि वह भाजपा में शामिल होंगे या नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकुल रॉय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मिल चुके हैं।

आपको बता दें एक साल पहले भी ममता से मतभेद होने के बाद जब मुकुल के भाजपा में शामिल होने की चर्चा छिड़ी थी तो उन्होंने करीब 20 विधायकों और आधा दर्जन से अधिक सांसदों को लेकर तृणमूल छोड़ने का आश्वासन दिया था। तब ममता ने मुकुल को किसी तरह समझा बुझा कर रोक लिया था।

लेकिन अंदर की खबर है कि इस बार मुकुल अकेले तृणमूल से अलग होना चाहते हैं। दूसरी तरफ भाजपा चाहती है कि मुकुल कुछ विधायकों और सांसदों को साथ लेकर पार्टी छोड़े। वहीं राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक कुछ विधायक और सांसद मुकुल के साथ आ जाते हैं तो वह सीधे भाजपा में नहीं जाकर अलग पार्टी बनाएंगे और राजग में शामिल होंगे।

आपको बता दें कि मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वे शुरू से ही ममता बनर्जी के करीबी रहे हैं। केंद्र में यूपीए की सरकार के दौरान ममता बनर्जी ने मुकुल रॉय को रेल मंत्री का पद भी दिलाया था। पश्चिम बंगाल के नारादा और शारदा चिटफंड घोटाले में भी मुकुल रॉय का नाम आता रहा है। इन घोटालों में नाम आने के बाद ममता बनर्जी खुद मैदान में आईं थीं और मुकुल रॉय का बचाव किया था।

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