सत्ता प्रेमी से ज्यादा आलाकमान के रहे हैं वफादार, जानें कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे?

थरूर 2009 में पार्टी में शामिल हुए। थरूर ने यूपीए सरकार में विदेश राज्य मंत्री (2009-2010) और मानव संसाधन विकास मंत्री (2012-2014) के रूप में कार्य किया है।

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Mallikarjun Kharge
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Mallikarjun Kharge: कांग्रेस को आखिरकार बुधवार 19 अक्टूबर को अपना नया अध्यक्ष मिल गया है। 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. खड़गे ने सीधे मुकाबले में शशि थरूर को भारी मतों से हराया। मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले, जबकि शशि थरूर को महज 1072 वोट मिले। बता दें कि इस बार गांधी परिवार की तरफ से कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद की रेस में शामिल नहीं था। ऐसा पिछले 24 साल में पहली बार हुआ है जब गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता अध्यक्ष पद तक पहुंचा है। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सोमवार (17 अक्टूबर) को मतदान हुआ था। देशभर में कांग्रेस के 9,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने गैर-गांधी अध्यक्ष को चुनने के लिए मतदान किया था।

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कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे?

80 वर्षीय नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वर्तमान में राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं। एक कट्टर गांधीवादी, खड़गे ने सरकारी कॉलेज में छात्र संघ के नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। अपने करियर की शुरुआत में, वह एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता के रूप में उभरे। खड़गे 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। उन्हें गांधी परिवार का करीबी सहयोगी माना जाता है। इससे पहले, उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री (जून 2013-मई 2014), और श्रम और रोजगार मंत्री (मई 2009-जून 2013) के रूप में कार्य किया।

खड़गे 1972 से 2009 तक लगातार 10 जीत दर्ज करके कर्नाटक के गुलबर्गा में चुनावी इतिहास रचा। 2019 में उन्हें अपनी पहली चुनावी हार का सामना करना पड़ा। उन्हें भाजपा के उमेश जाधव ने चुनाव में परास्त किया था। खड़गे दलित समुदाय से आते हैं।

1994 में फिसला पद
खड़गे 1990 में एस बंगारप्पा कैबिनेट और 1992 से 1994 तक एम वीरप्पा मोइली के कैबिनेट सदस्य थे। 1994 में विधानसभा में विपक्ष के नेता बनने के बाद उनकी भूमिका बदल गई। कांग्रेसी नेता की नजर मुख्यमंत्री पद पर थी। यह पद उनका होते-होते रह गया। जनता दल का सीएम बना।

1999 और 2004 में भी निकला मौका


1999 में वह फिर से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक थे, लेकिन एसएम कृष्णा ने उन्हें पछाड़ दिया। एसएम कृष्णा को सीएम बनाया गया और खड़गे उनके कार्यकाल में गृहमंत्री रहे। ऐसा ही एक मौका 2004 में भी आया था, लेकिन तब भी खड़गे शीर्ष पद से चूक गए क्योंकि उनके करीबी दोस्त एन धरम सिंह ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का नेतृत्व किया और उन्होंने उनके अधीन काम किया।

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