Mahatma Gandhi Degree: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले दिनों राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर एक दावा किया था। उन्होंने कहा था, “महात्मा गांधी के पास कोई लॉ की डिग्री नहीं थी उन्होंने सिर्फ मैट्रिक की थी।” उनके इस बयान के बाद देश की राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई। वहीं, मनोज सिन्हा के बयान और दावे का महात्मा गांधी के प्रपौत्र (परपोता) तुषाण गांधी ने जवाब दिया है। न्यूज एजेंसी के अनुसार, तुषार गांधी ने कहा है कि महात्मा गांधी ने दो बार मैट्रिक की थी।
Mahatma Gandhi Degree: इनर टेम्पल से हासिल की थी लॉ की डिग्री- तुषार गांधी
तुषार गांधी ने ट्वीट करके एलजी सिन्हा के बयान पर अपनी बात कही है। उन्होंने कहा, “एम. के. गांधी ने दो बार मैट्रिक पास की थी। एक बार उन्होंने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से और दूसरी बार लंदन से। इसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त इनर टेम्पल लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की।”
तुषार गांधी ने अपने ट्वीट में आगे कहा, “महात्मा गांधी ने दो डिप्लोमा भी किए थी। एक डिप्लोमा लैटिन भाषा में और दूसरा फ्रेंस भाषा में।”
तुषार गांधी ने कहा, “मैंने बापू की आत्मकथा की एक प्रति राजभवन जम्मू को इस उम्मीद के साथ भेजा हूं कि उपराज्यपाल पढ़ सकते हैं, तो उन्हें इसके बारे में जानकारी मिल जाएगी।” हालांकि, अपने ट्वीट में तुषार गांधी ने यह भी कहा है, “मैं मानता हूं बापू के पास पूरे कानून की डिग्री नहीं थी।”
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का पूरा बयान
जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पिछले गुरुवार को ग्वालियर में एक संस्थान में डॉ. राम मनोहर लोहिया स्मृति व्याख्यान में अपना संबोधन दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी और उनकी शिक्षा को लेकर कई बातें कही। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी के पास लॉ की कोई डिग्री नहीं थी। कुछ लोग प्रतिकार करेंगे लेकिन मैं तथ्यों के साथ आगे बात करूंगा।” मनोज सिन्हा ने कहा था, “कौन कहेगा कि गांधी जी शिक्षित-प्रशिक्षित नहीं थे? लेकिन क्या आपको पता है कि उनके पास कोई यूनिवर्सिटी डिग्री या क्वालिफिकेशन नहीं थी। महात्मा गांधी के पास केवल हाई स्कूल डिप्लोमा था। उनके पास यूनिवर्सिटी की कोई डिग्री या योग्यता नहीं थी।”
मनोज सिन्हा ने महात्मा गांधी को लेकर यह भी कहा, “जितनी चुनौतियां आईं, जितनी परीक्षाएं आईं, उन्होंने(महात्मा गांधी) सत्य कभी नहीं त्यागा और महात्मा गांधी ने अंतरध्वनि को पहचान लिया। इसका परिणाम हुआ कि वे राष्ट्रपिता हो गए।”
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