मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है मंत्रिमंडल का गठन भी हो चुका है। लेकिन विधनसभा स्पीकर का चुनाव कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। सूत्र बता रहे है कमलनाथ के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से तीन निर्दलियों समेत बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के विधायक नाराज चल रहे हैं।

तीनों निर्दलियों ने सपा-बसपा विधायकों के साथ बैठक भी की है। हालांकि कांग्रेस निर्दलियों और सपा-बसपा की नाराजगी या असंतोष को हल्के में नहीं ले रही है। इसका बड़ा कारण विधानसभा के स्पीकर का निर्वाचन है, जिसमें बहुमत की परीक्षा होना है। भाजपा ने यदि अपना उम्मीदवार उतारा तो सपा-बसपा और निर्दलियों का कथित गुस्सा या असंतोष कांग्रेस को भारी भी पड़ सकता है।

बता दें कि मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बसपा, सपा और निर्दलियों के समर्थन के बाद बनी है। कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। बहुमत 116 से दो सीटें कम। बसपा (दो) और सपा (एक) ने बिना शर्त समर्थन कर दिया और चार निर्दलीय भी कांग्रेस के साथ हो गए। इससे कांग्रेस का आंकड़ा 114 से बढ़कर 121 हो गया। लेकिन कमलनाथ ने सिर्फ एक निर्दलीय को मंत्रिमंडल में जगह दी।

खास बात यह है कि बसपा के दो विधायकों में से एक भिंड के संजू कुशवाह का भाजपा के साथ भी गहरा संबंध है। उनके पिता डॉ. रामलखन सिंह भाजपा के सांसद रहे हैं। दरअसल, कमलनाथ ने पहली बार चुने गए चेहरों को कैबिनेट में शामिल नहीं करने का फार्मूला लागू किया है।

निर्दलीय प्रदीप जायसवाल चूंकि तीन बार के विधायक हैं, लिहाजा वो जगह बनाने में कामयाब रहे। लेकिन तीन अन्य निर्दलियों और सपा-बसपा विधायकों का तर्क है कि पहली बार का फार्मूला कांग्रेस सदस्यों पर लागू होता है, उन पर नहीं। कांग्रेस के 55 विधायक पहली बार चुने गए हैं।

मध्य प्रदेश विधानसभा सीटें

कुल सीटें- 230
कांग्रेस- 114
भाजपा- 109
बसपा- 02
सपा- 01
निर्दलीय – 04

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here