जानिए क्या काम करता है Law Commission और क्यों किया जाता है इसका गठन

भारत सरकार ने स्वतंत्र भारत का प्रथम विधि (Law Commission) आयोग वर्ष 1955 में भारत के तत्कालीन अटॉर्नी जनरल एम.सी. सीतलवाड की अध्यक्षता में गठित किया था.

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Justice Rituraj Awasthi appointed Law Commission Chief

7 नवंबर को देश के कानून मंत्री किरेन रिजूजू ने बताया कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी को वर्ष 2020 में भारत सरकार द्वारा गठित किए गए 22वें विधि आयोग (Law Commission) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

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भारत का विधि आयोग (Law Commission of India)

भारत का विधि आयोग (Law Commission) समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है. स्वतंत्र भारत का पहला विधि आयोग वर्ष 1955 में तीन साल के कार्यकाल के लिये स्थापित किया गया था. वहीं आजादी से पहला विधि आयोग वर्ष 1834 में ब्रिटिश राज काल के दौरान वर्ष 1833 के चार्टर अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था और इसकी अध्यक्षता लॉर्ड मैकाले (Thomas Babington Macaulay) ने की थी.

स्वतंत्रता के बाद संविधान ने अनुच्छेद 372 के तहत संविधान के पहले बने कानूनों को तब तक जारी रखना तय किया जब तक कि उनमें संशोधन न हो जाए या उन्हें रद्द न किया जाए. लेकिन अभी देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार पुराने कानूनों में सुधार और उनको अद्यतन (Update) करने की सिफारिश करने के लिये संसद के अंदर और बाहर एक केंद्रीय विधि आयोग गठित करने की मांग की गई थी.

भारत सरकार ने स्वतंत्र भारत का प्रथम विधि (Law Commission) आयोग वर्ष 1955 में भारत के तत्कालीन अटॉर्नी जनरल एम.सी. सीतलवाड की अध्यक्षता में गठित किया था. तब से अब तक 21 से अधिक विधि आयोग गठित किये जा चुके हैं जिनमें से प्रत्येक का कार्यकाल 3 वर्ष था. वर्ष 2020 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन साल की अवधि के लिये भारत के 22वें विधि आयोग के गठन को मंज़ूरी दी.

क्या है इसके उद्देश्य

भारत का विधि आयोग कानून और न्याय मंत्रालय (Ministry of Law and Justice) के सलाहकार निकाय (Advisory Body) के रूप में काम करता है. विधि आयोग का कार्य कानून संबंधी अनुसंधान (Research) और भारत में मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना है ताकि इसमें सुधार किया जा सके एवं केंद्र सरकार या स्व-प्रेरणा (Suo Moto) द्वारा इसके संदर्भ में नए कानून बनाए जा सकें.

कैसा होता है ये आयोग ?

भारत का विधि आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष के साथ-साथ एक सदस्य-सचिव सहित और चार पूर्णकालिक सदस्य होते हैं, वहीं कानून मंत्रालय का कानून और विधायी सचिव इस आयोग का पदेन सदस्य होगा. इसमें अंशकालिक (Short Term) सदस्यों की संख्या पांच से अधिक नहीं होती है. सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश इस आयोग का अध्यक्ष होगा.

भारत में विधि आयोग द्वारा की गई अब तक की मुख्य सिफारिशें

विधि आयोग ने अपनी 262वीं रिपोर्ट में आतंकवाद से संबंधित अपराधों और राज्य के खिलाफ युद्ध को छोड़कर सभी अपराधों के लिये मृत्युदंड की सजा को खत्म करने की सिफारिश की थी.

वर्ष 1999 में चुनावी सुधारों पर इसकी रिपोर्ट में शासन में सुधार एवं स्थिरता के लिये लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया गया था.

विधि आयोग ने देश में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की भी सिफारिश की थी.

कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की जगह लाए गए आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 को भी भारत के विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित किया गया था.

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