आखिर विदेश मंत्री Dr. S. Jaishankar के Russia दौरे को लेकर क्यों हो रही है अमेरिका तक चर्चा, जानिए भारत और रूस के बीच कितना है व्यापार

भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी जो वर्ष 2021-22 के 1.27 फीसदी थी अब बढ़कर 3.54 फीसदी (सितंबर 2022 तक) हो गई है. जबकि वर्ष 1997-98 में भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी 2.1 फीसदी थी, यह पिछले 25 वर्षों से 2 फीसदी से नीचे ही रही थी.

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आखिर विदेश मंत्री Dr. S. Jaishankar के Russia दौरे को लेकर क्यों हो रही है अमेरिका तक चर्चा, जानिए भारत और रूस के बीच कितना है व्यापार - APN News
Lavrov - Jaishankar in Moscow

भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर (Dr. S. Jaishankar) अपनी दो दिवसीय रूस (Russia) की यात्रा को पूरा कर दिल्ली वापिस आ चुके हैं. लेकिन एक साल से भी ज्यादा समय के बाद कि गई उनकी रूस यात्रा को लेकर पुरी दुनिया में चर्चा हो रही है. डॉ एस जयशंकर ने मंगलवार 8 नवंबर को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से राजधानी मॉस्को में मुलाकात की.

जयशंकर ने इससे पहले आखिरी बार जुलाई 2021 में रूस का दौरा किया था और उसके बाद अप्रैल 2022 में रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने नई दिल्ली की यात्रा की थी. एस जयशंकर आज (9 नवंबर 2022) ही रूस से वापिस भारत लौटे हैं.

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यात्रा के मायने?

फरवरी 2022 से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के विदेश मंत्री Jaishankar की यह रूस यात्रा बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जा रही थी. हालांकि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से नहीं मिले. एस जयशंकर ने 8 नवंबर को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि पश्चिमी ताकतों से बिना प्रभावित हुए भारत, रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखेगा. लावरोव के साथ मॉस्को में हुए संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं को सबसे लाभप्रद शर्तो पर सबसे बेहतर पहुंच हासिल हो.

एक एजंसी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर महीने में रूस, भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता (Oil Supplier) बन गया और उसने भारत के पुराने सप्लायरों सऊदी अरब और इराक को पीछे छोड़ दिया है.

क्या बोले रूसी विदेशी मंत्री?

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक परिदृश्य में कई मोर्चों पर परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. अर्थव्यवस्था से लेकर निवेश तक के मोर्चों पर दोनों देशों के बीच भी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में इन परिवर्तनों के बीच हम प्रासंगिक चर्चा कराने की मांग करते हैं.

भारत के विदेश मंत्री Dr. S. Jaishankar ने अपने संबोधन के बारे में कहा कि, ‘रूस के साथ हमारे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक (Time Tested) संबंध हैं. हम इन संबधों का विस्तार करने और इसे और अधिक टिकाऊ बनाने के तरीके खोजने की कोशिश कर रहे हैं. हमने उन क्षेत्रों पर चर्चा की जहां दोनों देशों के बीच स्वाभाविक हित हैं.

भारत और रूस के बीच व्यापार

पिछले कई महीनों से भारत और रूस के बीच व्यापारिक रिश्ते भी काफी मजबूत हुए है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में कई गुणा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच, सिर्फ पांच महीनों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 18.22 अरब डॉलर (लगभग 1.5 लाख करोड़) रहा. भरत ने रूस को मात्र आठ हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया. वहीं पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये आंकड़ा केवल आठ अरब डॉलर था.

इस समय रूस से भारत भारी मात्रा में कच्चे तेल और फर्टिलाइजर (खाद) का आयात कर रहा है. वैश्विक बाजार में युक्रेन युद्ध के बाद से इन दोनों वस्तुओं की कीमत रिकार्ड स्तर पर चली गई थी. अगस्त 2022 तक हुए दोनों देश के बीच 18.2 अरब डॉलर के व्यापार में 91 फीसदी हिस्सेदारी कच्चे तेल और फर्टिलाइजर की ही थी. उम्मीद की जा रही कि आने वाले समय में इसमें और बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा दोनों देशों द्वारा स्थानीय मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देने की तैयारी भी की जा रही है.

दोनों देशों के बीच कुल वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 13.12 अरब अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2020-21 में 8.14 अरब अमेरिकी डॉलर का था. कोविड से पहले यह वर्ष 2019-20 में 10.11 अरब अमेरिकी डॉलर एवं 2018-19 में 8.22 अरब अमेरिकी डॉलर और 2017-18 में 10.68 अरब अमेरिकी डॉलर का था.

रूस पिछले वर्ष अपने 25वें स्थान से बढ़कर अब भारत का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक और इंडोनेशिया ऐसे छह देश थे जिन्होंने वर्ष 2022-23 के पहले पांच महीनों के दौरान भारत के साथ व्यापार की उच्च मात्रा दर्ज की है.

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी जो वर्ष 2021-22 के 1.27 फीसदी अब बढ़कर 3.54 फीसदी (अक्टूबर 2022 तक) हो गई है. जबकि वर्ष 1997-98 में भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी 2.1 फीसदी थी, यह पिछले 25 वर्षों से 2 फीसदी से नीचे ही रही थी.

वहीं युक्रेन युद्ध के चलते रूस पर पश्चिमी देशों (अमेरिका, यूरोप और इनके सहयोगी देश) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. जिसके बाद से ही रूस ने भारत को कच्चे तेल के दाम पर भारी छूट देना शुरू कर दिया. एक अनुमान के अनुसार भारत को रूस कच्चा तेल औसतन 60 से 65 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से दे रहा है. इसके अलावा दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को 2025 तक 50 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा है.

क्या बोला अमेरिका?

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया मॉस्को यात्रा के बारे में कहा कि जयशंकर का रूस को दिया गया संदेश पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व में दिए गए बयान से अलग नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि ‘यह जंग का समय नहीं है.“ प्राइस ने कहा कि भारत ने एक बार फिर यूक्रेन जंग के खिलाफ विचार रखा है. वह इस युद्ध का कूटनीति और बातचीत के माध्यम से खत्म करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि रूसी लोग भारत जैसे उन देशों के संदेश को सुनें, जिनके पास आर्थिक, राजनयिक, सामाजिक और राजनीतिक ताकत है.

ऊर्जा और रक्षा सहायता के लिए रूस भरोसेमंद नहीं अमेरिका

जयशंकर की यात्रा को लेकर पुछे गए एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए नेड प्राइस ने भारत को आगाह किया कि रूस ऊर्जा और सुरक्षा सहायता को लेकर भरोसेमंद नहीं है. भारत यदि समय के साथ रूस पर अपनी निर्भरता कम करेगा तो यह न केवल यूक्रेन या क्षेत्र के हित में होगा, बल्कि यह भारत के अपने द्विपक्षीय हित में भी होगा, यह हमने रूस के रवैये को देखते हुए महसूस किया है. प्राइस ने आगे कहा कि अमेरिका ने भारत के साथ हर क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत किया है… इसमें आर्थिक, सुरक्षा, सैन्य सहयोग भी शामिल है.

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