क्या Xi Jinping कर रहे हैं किसी बड़े युद्ध की तैयारी? सेना को दिया यह निर्देश…

तीन दशक तक माओ ने किया था शासन

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Xi Jinping की फाइल फोटो
Xi Jinping की फाइल फोटो

Xi Jinping: हाल ही में शी जिनपिंग ने चीन में लगातार तीसरी बार सत्ता की बागडोर को संभाला है। तीसरी बार राष्ट्रपति बनते ही शी के कड़े तेवर दिखने शुरू हो गए हैं। इसी बीच 8 नवंबर को जिनपिंग ने सेना के संयुक्त संचालन कमांड सेंटर की यात्रा की। मौके पर उन्होंने सेना के जवानों की ट्रेनिंग और युद्ध की तैयारियों को बढ़ाने की बात कही। उन्होंने इसके लिए सेना और जिम्मेदार विभागों को आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि दुनिया एक सदी में और गहरे परिवर्तनों से गुजर रही है।

Xi Jinping की फाइल फोटो
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Xi Jinping ने कहा- युद्ध की तैयारी के लिए करें काम

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला दौरा चीनी सेना के संयुक्त कमान मुख्यालय का किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि पूरी सेना को अपनी सारी ऊर्जा समर्पित करनी चाहिए और युद्ध की तैयारी के लिए अपना सारा काम करना चाहिए। शी ने कहा कि सेना को लड़ने और जीतने की अपनी क्षमता को बढ़ानी चाहिए और नए युग में अपने मिशन और कामों को प्रभावी तरीके से पूरा करना चाहिए।

वहीं, चीन की एक समाचार एजेंसी की मानें, तो राष्ट्रपति शी ने सैन्य नेतृत्व को राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने का आदेश दिया है। शी ने मौके पर कहा “दुनिया एक सदी में और अधिक गहन परिवर्तनों से गुजर रही है। चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है और इसके सैन्य कार्य कठिन बने हुए हैं।” उन्होंने सैन्य कार्यों को अच्छे से करने पर भी जोड़ दिया।

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Xi Jinping ने चीनी सेना को दिया बड़ा निर्देश

तीन दशक तक माओ ने किया था शासन
हाल ही में शी जिनपिंग लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने हैं। पिछले एक दशक से चीन की सत्ता में बने शी ने इतिहास भी रचा है। उन्होंने सीसीपी के संस्थापक माओ त्से तुंग की बराबरी कर ली है। मालूम हो कि माओ त्से तुंग के निधन के बाद कोई भी नेता तीसरी बार सत्ता में नहीं पहुंचा था। माओ त्से तुंग ने करीब तीन दशक तक चीन पर शासन किया था। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नया कार्यकाल मिलने का सीधा मतलब यह है कि शी जिनपिंग भी माओ की तरह जीवनभर सत्ता में बने रहने की मंशा रखते हैं। विशेषज्ञों ने यह माना है कि शी चीन की सुरक्षा, संप्रभुता को लेकर कड़े रुख भी अपना सकते हैं।

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