टिहरी में लगातार हो रही बारिश की वजह से हुए भूस्खलन ने देहरादून शहर पर खतरा पैदा कर दिया है। देहरादून और टिहरी की सीमा पर हुए इस भूस्खलन की वजह से एक विशालकाय झील बन गई है। इस झील के बन जाने की वजह से दोनों जिलों की सीमा के बीचों-बीच भारी मात्रा में पानी इकट्ठा होना शुरू हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार यह खतरा इतना बड़ा है कि अगर टिहरी के इलाके में लगातार बारिश होती है तो उस बारिश का असर देहरादून के रायपुर के तमाम इलाकों पर पड़ेगा। इस बात की खबर जैसे ही देहरादून जिलाधिकारी को लगी उन्होंने तत्काल प्रभाव से इसकी खबर शासन को दी। शासन ने तुरंत जिलाधिकारी और एसएसपी को मौके पर जाने के निर्देश दिए।दोनों ही अधिकारियों ने भूस्खलन से बनी झील का मुआयना किया है।

भूस्खलन से बनी आफत कीझील
टिहरी के तिमली सैण नामे तोक पर बनी इस झील में पहाड़ों से आता हुआ पानी लगातार इकट्ठा हो रहा है।लिहाजा इसी पानी ने देहरादून प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इस झील की गहराई लगभग 50 मीटर की है जबकि इसकी चौड़ाई लगभग सौ मीटर की बन गई है। जिन घरों को इस झील से खतरा हो सकता है फिलहाल उन्हें तत्काल प्रभाव से डीएम और एसएसपी के आदेश पर खाली करा दिया गया है। स्थानीय लोगों के लिए यह झील बड़ी आफत बन गई है। पहाड़ से मलबा लगातार बह रहा है।सीतापुर, सरकेत, तिमलीसैंण लोवारका गांवों के निवासी इससे बड़ी संख्या में प्रभावित हुए हैं।पीड़ितों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार से पुनर्वास की गुहार लगाई है।

देहरादून के कई इलाकों को खतरा
टिहरी गढ़वाल-देहरादून सीमा पर बनी इस झील में जमा पानी के बढ़ने की स्थिति में आसपास के बड़े क्षेत्रों में पर बाढ़ आ जाएगी। आसमान से आफत बनकर बरसे बादल गिरी से कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं। यहां रहने वाले लोंगों को झील के आसपास न जाने की सलाह दी गई है। इस झील के बढ़ते पानी पर प्रशासन लगातार नजर रख रहा है। क्योंकि अचानक से इसमें और पानी भर जाता है तो इसका पानी भी अचानक तेजी से निकलेगा लिहाजा नीचे के इलाकों में जान-माल का खतरा पैदा होने की आशंका है।

प्रकृति के हिसाब बराबर करने से कांप रहा इंसान
इस इलाके में बीते बुधवार को बादल फटने के बाद भूस्खलन की चपेट में आकर एक घर जमींदोज हो गया था। इस हादसे में दो भाइयों की मौत हो गई थी जबकि परिवार का एक अन्य सदस्य घायल हो गया था। बीते दिनों टिहरी गढ़वाल जिले में भी भूस्खलन की वजह से 8 लोग मलबे के नीचे दब गए थे। प्रकृति के इस तांडव के पीछे कहीं न कहीं इंसानों का ही हाथ है। जो लगातार जंगल काट रहा है, जिससे प्रकृति और इसमें रहने वाले जानवर इसके शिकार हो रहे हैं। दो पैरों का जानवर अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिये हरे-भरे पेड़ों पर आरियां चला रहा है। जिससे आफत के बादल बरसने और फटने से आए दिन बड़े पैमाने पर भूस्खलन हो रहे हैं और आखिर में इंसान अपनी ही करनी का फल भुगत रहा है।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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