भारत बंद करो का नारा लगाने वाले लोगों की मांग एक ही है। इन्हें कानून की रोशनी में इंसाफ चाहिये। सभी लोग एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बनाये रखने की मांग कर रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए SC/ST एक्ट में संशोधन कर मूल स्वरूप में बहाल करने के खिलाफ सवर्णों के भारत बंद का देश के कई हिस्सों में व्यापक असर देखा गया। ये बंद कई सवर्ण संगठनों द्वारा बुलाया गया। सभी को केंद्र सरकार के इस फैसले पर सख्त आपत्ति है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा किये गये संसोधन के विरोध में भारत बंद का असर उत्तराखंड के कई इलाकों के साथ-साथ पौड़ी की सड़कों और बाजारों में भी साफ नजर आया। चहल-पहल की जगह बाजार सूने रहे। सड़कों पर केंद्र सरकार के संसोधन के विरोध में नारेबाजी के साथ मार्च निकाला गया और केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का जमकर विरोध किया गया। व्यापार मण्डल ने बाजारों कों बंद रखा।सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के बच्चे जुलूस में शामिल हुए।जुलूस में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।

इस दौरान उत्तराखंड के पौड़ी सहित कई जिलों में व्यापार मण्डल के साथ ही कांग्रेसियों और सवर्ण समाज लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने हुए नाराजगी जताई। इसे वोट बैंक बढ़ाने का एक जरिया बताया। लोगों का कहना है कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने जहां एससी-एसटी एक्ट में अपना अहम फैसला देते हुए जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज करने पर मुहर लगायी थी। वहीं मोदी सरकार ने इस फैसले में संसोधन कर एससी-एसटी के लोगों की शिकायत पर ही एफआईआर दर्ज करवाने समेत तमाम बदलाव किये। एससी एसटी के लोगों के पक्ष में सवर्णों और अन्य जाति के लोगों के खिलाफ एकतरफा बेहद घातक किया है।प्रदर्शन में शांति व्यवस्था बनाये रखने को लेकर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

एससी-एसटी एक्ट बिल को पास कराने के नाम पर जमकर राजनीति की गई। आज मोदी सरकार के खिलाफ भारत बंद में शामिल होने वाली कांग्रेस ने इसे संसद में पारित कराने में मोदी सरकार का पूरा साथ दिया था, जमकर संसद में मेजे थपथपाई गईं थीं। वही कांग्रेस अब मोदी सरकार को घेरने में जुटी है। जाहिर है कि कांग्रेस इस बिल के साथ और एससी-एसटी सहित बची अन्य जातियों के साथ भी दिखना और नहीं दिखना दोनों चाहती है।ये एससी-एसटी के वोटों का खेल है।जो मोदी सरकार भी चाहिये और कांग्रेस सहित सभी दलों को भी।लेकिन केंद्र में सरकार होने से बीजेपी के माथे ये सियासी कलंक लग रहा है।ऐसे में भारत बंद से केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी ब्राह्मण, क्षत्रिय, भूमिहार, लाला, पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में जुट गई है।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बीते मंगलवार को वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ एससी/एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात पर विस्तार से चर्चा की। क्योंकि बीजेपी इसका असर 2019 के  मिशन पर पड़ने के डर से घबराई है। सवर्ण और पिछड़े खासकर बनिया समुदाय उसके परंपरागत वोटर रहे हैं।ऐसे में जब विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी ब्राह्मण, क्षत्रिय, भूमिहार, लाला, पिछड़े खासकर बनिया वर्ग की नाराजगी भगवा पार्टी के मिशन 2019 पर ग्रहण लगाने के काफी है।ऐसे में ये उसी तरह साबित होगा जैसे करेले पर नीम चढ़ा।लेकिन इसके पीछे के पूरे सियासी खेल को समझना सबों के लिये सबसे जरुरी है।क्योंकि कांग्रेस इस बहती गंगा में सबसे बड़ा ‘हाथ’ मारना चाहती है।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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