भारत को आजाद हुए 70 साल हो गए। इन सालों में देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे। कहीं भारत के कई हिस्से अलग हो गए तो कहीं कई हिस्से भारत में शामिल हो गए। पाकिस्तान तो आजादी के शुरूआत में ही अलग हो गया था लेकिन कई ऐसे राज्य हैं जो भारत से बाद में जुड़े। उसी में सिक्किम राज्य भी है। खूबसूरती के इस स्वर्ग को पाने में भारत को भी काफी पापड़ बेलने पड़े तब जाकर आज सिक्किम भारत का हिसा बन पाया। सिक्किम भारत का हिस्सा 16 मई,1975 में बना। इससे पहले यह एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था। जिस समय भारत आजाद हुआ उस समय सिक्किम पर नामग्याल राजवंश शासन कर रहा था।

दरअसल, कहानी यहां से शुरू होती है कि नामग्याल राजवंश ने भारत में सिक्किम के विलय के ऑफर को ठुकरा दिया था। उस समय सिक्किम में चोग्याल का राज था। सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने का संविधान संशोधन विधेयक 23 अप्रैल, 1975 को लोकसभा में पेश किया गया। उसी दिन इसे 299-11 के मत से पास कर दिया गया। राज्यसभा में यह बिल 26 अप्रैल को पास हुआ और 15 मई, 1975 को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद सिक्किम का भारत में विलय हो गया और वहां से नामग्याल राजवंश के शासन का अंत हो गया। खूबसूरती की बात करें तो यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे खूबसूरत राज्य है। दुनिया में पर्वतों की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा के मनमोहक व्यू के साथ इसे भारत के पूर्व का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।

छह अप्रैल, 1975 की सुबह सिक्किम के चोग्याल को अपने राजमहल के गेट के बाहर भारतीय सैनिकों के ट्रकों की आवाज सुनाई दी। वह दौड़ कर खिड़की के पास पहुंचे। उनके राजमहल को चारों तरफ से भारतीय सैनिकों ने घेर रखा था। वहां मौजूद 5,000 भारतीय सैनिकों को राजमहल के 243 गार्डों को काबू करने में 30 मिनट का भी समय नहीं लगा। उस दिन 12 बज कर 45 मिनट तक सिक्किम का आजाद देश का दर्जा खत्म हो चुका था। इसके बाद चोग्याल को उनके महल में ही नजरबंद कर दिया गया।

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