भाषा किसी राज्य की पहचान तो हो सकती है पर उस राज्य में आए हर व्यक्ति को वह भाषा सीखना पड़े तो यह भारत जैसे देश में ‘विविधता में एकता’ के विचार के विरुद्ध है, क्योंकि भारत की संस्कृति ही है कि हम सबको अपने अन्दर सम्मिलित व समाहित करें पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि कर्नाटक में रह रहे हर इंसान को कन्‍नड़ सीखना चाहिए। मुख्‍यमंत्री का कहना है कि क्षेत्रीय भाषा नहीं सीखने का मतलब इसके प्रति अनादर दिखाना है।

बता दें कि कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया कांतिवीर स्‍टेडियम में 62वें कर्नाटक राज्‍योत्‍सव के अवसर पर बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि “यहां रहने वाला हर शख्‍स कन्‍नड़ है। कर्नाटक में जो कोई भी रहता है उसे कन्‍नड़ सीखना चाहिए और बच्‍चों को भी सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्‍होंने आगे कहा, ‘मैं किसी भाषा के सीखने के खिलाफ नहीं हूं। लेकिन यदि आप कन्‍नड़ नहीं सीखते हैं तो इसका मतलब है कि आप इस भाषा का अनादर कर रहे हैं।”

इतना ही नहीं सिद्धारमैया ने यहां राज्य के अलग झंडे का भी मुद्दा उठाया। सिद्धारमैया के अनुसार राज्य का अलग झंडा बनाने के लिए कमेटी बनाई गई है जो तय करेगी कि मौजूदा झंडा रहे या फिर उसमें कुछ बदलाव होने हैं। फिलहाल पीले और लाल रंग के झंडे को कन्नड़ का अनौपचारिक झंडा है।

मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने यह भी कहा था कि पिछले 60 सालों में कन्‍न्‍ड़ को प्राथमिकता देने में कर्नाटक सफल नहीं हुआ है। वहीं सिद्धारमैया के इस बयान को लोग एक पोलटिकल एंगल से देख रहे हैं।

जानकारों की माने तो  कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसी को देखते हुए  सिद्धरमैया कन्नड़वासियों को एकजुट करने और अपने पक्ष में लाने के लिए लगातार कन्नड़ भाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में लगे हुए है। गौरतलब है कि कर्नाटक में एक नवंबर के दिन को हर साल कन्नड़ राजोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह बेंगलूरु के कन्तेरवा स्टेडियम में यह आयोजन किया गया था जबकि राजधानी बेंगलूरु में दूसरे राज्यों के भी लाखों लोग रहते हैं जो गैर कन्नड़भाषी हैं।

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