मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से छह इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान यानी इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा देने को लेकर विवाद शुरू हो गया है।  विवाद की वजह रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट है। निजी संस्थानों में रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट को भी उत्कृष्ट संस्थान में शामिल किया है, जो अभी तक अस्तित्व में भी नहीं है।  मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इन नामों की घोषणा के बाद बहस शुरू हो गई है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकार कैसे एक संस्थान को अस्तित्व में आने से पहले उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दे सकती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्योगपति दोस्त को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। जब सरकार की किरकिरी होने लगी तो नियम का हवाला देने की कोशिश की गई।

मंत्रालय के अनुसार इस संस्थान को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के अधीन शामिल किया गया है. ये एक ऐसी कैटेगरी होती है, जिसमें उन संस्थानों को शामिल किया जाता है, जो अभी अस्तित्व में नहीं है और जल्द ही बनने जा रहे हैं।  मंत्रालय ने आगे कहा है कि ईईसी यानी एमपॉवर्ड एक्सपर्ट कमेटी ने यूजीसी रेगुलेशन 2017 (क्लॉज 6.1) के आधार पर 11 प्रपोजल प्राप्त किए थे, लेकिन जियो इंस्टीट्यूट मानकों पर खरा उतरा है।

ये प्रोविजन आगामी शिक्षण संस्थानों के लिए है।  मंत्रालय के अनुसार चार मानक तय किए गए थे।   इंस्टीट्यूट बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो।   शीर्ष योग्यता और व्यापक अनुभव वाली टीम रख रहे हो।   इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए फंड जुटा सके।  मील का पत्थर साबित करने के लिए एक रणनीतिक प्लान होना चाहिए।

—ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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