राजकीय शोक के मायने क्या हैं, यह शायद झारखंड के मुख्यमंत्री और वहां के अफसरों को नहीं मालूम। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर झारखंड सरकार ने भी आनन-फानन में सात दिन के राजकीय शोक का एलान कर डाला,लेकिन अभी राजकीय शोक खत्म भी नहीं हुआ कि रांची में इंटरनेशनल वाटर कलर फेस्टिवल का उद्धाटन करने खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास पहुंच गए।

यह आयोजन पूरी तरह से सरकारी है। पांच दिन चलनेवाले फेस्टिवल का आयोजन झारखंड की कला एवं संस्कृति विभाग ने किया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति बीजेपी सरकार की आखिर यह कैसी श्रद्धा है। यह किसी को समझ नहीं आ रहा है। खुद कला एवं संस्कृति मंत्री के पास भी इसका को कोई ठोस जवाब नहीं।

एक तरफ जहां बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री शहर-शहर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां प्रवाहित करते घूम रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राजकीय शोक के बीच इस तरह के आयोजन सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं। राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह तो कहते हैं उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। लेकिन सरकार का बचाव करते हुए यह भी कहा कि हो सकता है भूलवश ऐसा आयोजन हो गया।Jharkhand government organizes international watercolor festival between government mourns

लेकिन केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत ने माना कि राजकीय शोक के दौरान इस तरह के आयोजन नहीं होने चाहिए ।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद उनकी अस्थियों को लेकर राजनीति करने का आरोप विपक्ष पहले ही लगा रहा है और अब इस आयोजन ने विपक्ष को रघुवर सरकार पर निशाना साधने का ओर  और मौका दे दिया है। झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि इस तरह का आयोजन अटल जी का अपमान है।

राजकीय शोक के दौरान सरकारी स्तर पर किसी तरह का मनोरंजक कार्यक्रम, सामूहिक भोज, फेस्टिवल आदि पर रोक होती है। कला संस्कृति विभाग ने इंटरनेशनल कलर फेस्टिवल का आयोजन यह सोच कर किया था कि इससे रघुवर सरकार को खूब वाह वाही मिलेगी लेकिन यहां दांव उल्टा पड़ गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रति झारखंड सरकार की श्रद्धा अब सवालों के घेरे में है।

एपीएन ब्यूरो

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