जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन राज्य में स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) से जुड़े कानून में किसी तरह के बदलाव का विचार नहीं कर रहा है। मलिक ने यह बयान ऐसे समय दिया, जब नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी इस कानून में बदलाव की मंशा वाले किसी भी कदम का विरोध करेगी। मलिक ने अब्दुल्ला को भेजे पत्र में कहा, ”मैं कहना चाहता हूं कि सरकार राज्य में स्थायी निवासी प्रमाणपत्रों से जुड़े कानून में कोई बदलाव नहीं कर रही है और ना ही उसका ऐसा कोई विचार है। यह जम्मू कश्मीर के कानूनी ढांचे का अभिन्न हिस्सा है और इस कानून में किसी बदलाव का कोई प्रयास नहीं किया गया है।”

राज्‍यपाल ने कहा, ‘मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि बिना सभी पक्षों के साथ व्‍यापक सलाह के स्‍थायी निवासी प्रमाणपत्र को जारी करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं होगा।’ मलिक ने उमर से कहा कि उन्हें ‘इस तरह की झूठी और बेबुनियाद खबरों’ पर ध्यान नहीं देना चाहिए। राज्यपाल ने इस बात का भी जिक्र किया कि राजभवन की फैक्स मशीन काम कर रही है और उमर का फैक्स प्राप्त हुआ है तथा इसकी पुष्टि भी की गई है ‘जबकि आप (उमर) ट्वीट कर रहे हैं कि यह (मशीन) काम नहीं कर रही है।’

संविधान का अनुच्छेद 35 ए जम्मू कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी निवासियों’ को परिभाषित करने की शक्ति प्रदान करता है। रविवार को इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल को पत्र लिख कर कहा कि नेशनल कांफ्रेंस राज्य में पीआरसी प्रदान करने की प्रक्रिया में किसी तरह के बदलाव का विरोध करेगी। राज्‍यपाल के इस पत्र के बाद उमर अब्‍दुल्‍ला ने ट्वीट कर उन्‍हें धन्‍यवाद दिया। उमर ने लिखा, ‘राज्‍यपाल साहब से मुझे फैक्‍स मिला है जिसे मैं यहां पर शेयर कर रहा हूं। मैं यह जानकर बेहद खुश हूं कि स्‍थायी निवास प्रमाणपत्र के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। मलिक साहब का सभी पक्षों से विचार का आश्‍वासन महत्‍वपूर्ण है। मेरा विश्‍वास है कि आगे भी विचार-विमर्श होता रहेगा क्‍योंकि हम चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं।’

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