अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग यह आदेश देने वाला है कि वह अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह ही आरक्षण नीति को लागू करे या फिर दस्तावेज पेश कर अगस्त महीने तक अपना अल्पसंख्यक दर्जा साबित करे। यह जानकारी आगरा से बीजेपी से सांसद और एससी एसटी पैनल के चेयरमैन राम शंकर कठेरिया ने दी। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान नहीं है, एएमयू को  नियमों का पालन करना ही होगा।

राम शंकर कठेरिया ने बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय, यूजीसी और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस बात की पुष्टि की है कि एएमयू के पास अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगस्त के आखिरी में कमिटी ( एससी, एसटी पैनल) की बैठक होगी और एएमयू को आदेश दिया गया है कि वह भी सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह कोटा उपलब्ध कराएं। बता दें कि एएमयू में करीब 30 हजार स्टूडेंट हैं और इसमें से 15 फीसदी अनुसूचित जाति जबकि 7.5 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोगों के पास जाना चाहिए।

राम सिंह कठेरिया ने कहा कि अगर एएमयू दस्तावेज पेश करने में नाकाम होता है तो उसे 4500 दलित और 2250 आदिवासी छात्रों को दाखिला देना होगा। कठेरिया का दावा है कि एएमयू के संविधान में प्रस्तावित कोटा को देने से इंकार करने की वजह से 1951 से लेकर अब तक SC/ST/OBC वर्ग के 5 लाख स्टूडेंट याहं दाखिले से वंचित हुए।

कठेरिया ने पूछा कि बसपा सुप्रीम मायावती ने इस मामले पर चुप्पी क्यों साध रखी है, उन्होंने कहा कि अगर उन्हें लगता है कि बीजेपी दलितों के मुद्दों पर राजनीति कर रही है तो उन्हें इस आंदोलन को आगे ले जाना चाहिए। हम उनके पीछे रहेंगे।

आपको बता दें कि 2016 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा था कि एमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। हांलाकि, यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है।

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