INS Vikrant: भारत हर क्षेत्र में खुद को ताकतवर बनाने में जुट गया है।नौसेना, वायु सेना या थल सेना सभी खेमों में भारत खुद को मजबूत करने में लगा हुआ है। आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर ‘आईएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना को सौंपेंगे। इसे भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा जहाज बताया जा रहा है। भारत के पहले स्वदेश विमानवाहक विक्रांत को 15 अगस्त, 2022 को भारतीय नौसेना के बड़े खेमे में शामिल कर लिया गया है। इसे Indian Navy के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (DND) द्वारा डिजाइन किया गया है। इस खबर में हम आपको INS विक्रांत की खासियत बताएंगे।
20, 000 करोड़ की लागत से बनाया गया है INS Vikrant
इसका नाम विक्रांत भारत के पहले विमानवाहक पोत, भारतीय नौसेना जहाज INS Vikrant के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। इसको बनाने में 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। भारतीय नौसेना को विक्रांत सौंपने से पहले कई परीक्षण किए गए थे। यह समुद्री परीक्षण साल 2021 के अगस्त से ही शुरू हो गया था। इसके बाद चौथे और अंतिम चरण के सफल परीक्षण के बाद ही इसे आगे बढ़ाया गया है।
INS Vikrant के सफलतापूर्वक नौसेना में शामिल होने के बाद भारत को उस सूची में शामिल किया गया है जिन देशों के पास स्वदेश में बना एयरक्राफ्ट कैरियर हो। आपको बता दें, विमानवाहक पोत विक्रांत करीब 45,000 टन का है जिसकी लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है। इस पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं।
1971 के युद्ध के विक्रांत का पुनर्जन्म
आपको बता दें, INS विक्रांत को 88 मेगावाट बिजली की कुल चार गैस टर्बाइन्स से चलाया जाएगा। इस पोत की अधिकतम गति 28 नॉटिकल मील है। इसको बनाने में लगाई गई 76 फीसदी उपकरण स्वदेशी है। साल 2013 में इसकी पहली झलक देखी गई थी। यह विमानवाहक सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर जोर देता है।
2,300 से अधिक डिब्बों का है विमानवाहक
इसमें 2,300 से अधिक डिब्बे हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों के दल के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों के लिए एक विशेष केबिन बनाया गया है। यह मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और MH-60R बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर संचालित करने के लिए तैयार है।
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