भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर एक बार फिर बैठक होने जा रही है। सोमवार और मंगलवार को दो दिन की बैठक के लिए भारत का प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद पहुंच गया है। पिछले साल 18 सितंबर को उरी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में खटास कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय बातचीत को स्थगित कर दिया था। इनमें सिंधु जल समझौता भी शामिल था। उरी हमले में हमारे जवानों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया था कि भारत अपनी परियोजनाओं को पूरा करने में सिंधु और उसकी सहायक नदियों में बहने वाले अपने हिस्से के अधिकतम पानी का उपयोग करेगा। पीएम ने कहा था कि जम्मु-कश्मीर को पानी की जरूरत है लेकिन फिर भी हम पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध रखने के लिए उन्हें पानी देते हैं लेकिन  पाक अपने ही देश में चल रही आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में असमर्थ है। इसलिए अब भारत अपनी परियोजनाओं को पहले पूरा करेगा।

समझौता स्थगित करने के बाद पाकिस्तान को झटका लगा था। जिसके बाद से वो लगातार दोबारा समझौता कराने का प्रयास करता रहा। 21 से 22 मार्च तक एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू होने जा रही है। सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व में 10 सदस्यीय दल पाकिस्तान पहुंच गया है, इस दल में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ-साथ तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने साफ कर दिया है कि बैठक के दौरान भारत के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारत ने बैठक से पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सिंधु समझौते के तहत मिले अधिकार से वह पीछे नहीं हटेगा।

दरअसल, पाकिस्तान भारत की पांच जलविधुत परियोजनाओं का विरोध करता आ रहा है जिसमें सिंधु नदी पाकल दुल, रातले, किशनगंगा, मियार और लोअर कालनई की परियोजनाएं शामिल हैं। पाकिस्तान के अनुसार यह परियोजनाएं सिंधु जल समझौते का उल्लंघन हैं।

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