यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत की विकास दर 7.7 फीसदी से घट कर 7.3 फीसदी हो गई है।जबकि यूएन के अर्थशास्त्रियों ने जनवरी में कहा था कि 2017 में भारत की विकास दर 7.7 फीसदी रहेगी। मोदी सरकार के तेजी से बढ़ते विकास दर के वादे के प्रतिकूल संयुक्त राष्ट्र ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत की मौजूदा वर्ष की विकास दर घटी है और यह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है। जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मानें तो इस साल भारत की अनुमानित जीडीपी 7.2 फीसदी रहेगी।

India's growth in the current fiscal has come down from 7.7 per cent to 7.3 per cent.विदित है कि भारत पहले से ही खराब बैंकिग प्रणाली से जूझ रहा है। ऊपर से मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी ने भी विकास दर को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं एशिया विकास बैंक के मुताबिक यह आकड़ा 7.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। बताते चलें कि मोदी सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी में यह बात सामने आ रही थी कि इसका भारत के विकास दर पर शुरूआत में नकारात्मक असर पड़ेगा लेकिन बाद में इसके परिणाम सकारात्मक दिखेंगे।

यूएन की यह रिपोर्ट भारत के लिए चिंता की बात है। जानकारी के अनुसार मुद्रा नीति में पकड़ और घरेलु सुधार भारत की आर्थिक नीति को मजबूत बनाते हैं। भारत को जल्द ही बैकिंग और कॉरपोरेट सेक्टर की बैलेंस सीट सुधारनी होगी। बैकों का एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है। जबतक बैकिंग की मूलभूत समस्याएं सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं की जाएगी तब तक भारत के विकास दर में बढ़ोत्तरी मुश्किल है। वैसे भारत के लिए खुशी की बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2018 तक भारत की विकास दर 8 फीसदी तक पहुंचने के आसार हैं।

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