भारतीय सेना सरहदों पर हमारी रक्षा करती है और इसीलिए हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम भी उनके लिए कुछ करें। ऐसे में एक शख्स है जिसने भारतीय सेना के लिए एक बेहतरीन काम करने का जिम्मा उठाया है। जी हां, हम बात कर रहें है जम्मू-कश्मीर के लद्दाख रीजन में रहने वाले सोनम वांगचुक की। भारतीय सेना इंजीनियर और इनोवेटर वांगचुक से मदद ले रही है ताकि बेहद ठंडे रेगिस्तानी इलाके में सीमा के पास बंकर बनाने और उन्हें गर्म रखने का खर्च उठाया जा सके।

सेना वांगचुक के एक प्रॉजेक्ट की फंडिंग कर रही है, जिसके तहत प्री-फैब्रिकेटिड सोलर हीटेड टेंट बनाए जाएंगे। इन्हें मिट्टी से बनाया जाएगा।  आर्मी ने आने वाले एक दशक में इस ठंडे सीमावर्ती इलाके में ऐसे कम से कम 10000 टेंटों की जरूरत बताई है।

वांगचुक ने कहा कि उन्होंने एक प्रोटोटाइप बनाया है और आर्मी ऐसे कम से कम 10000 स्ट्रक्चर्स में दिलचस्पी दिखा रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए लद्दाख क्षेत्र में एक प्लांट लगाया जाएगा।

जम्मू कश्मीर सरकार के स्टेट स्किल डिपार्टमेंट मिशन के एक समारोह के दौरान वांगचुक ने बताया कि ये सोलर पैसिव स्ट्रक्चर होंगे। यह कोई नई बात नहीं है। नई बात यह है कि इन्हें एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा और ये प्री-फैब्रिकेटिड होंगे। इन्हें जरूरत की जगह पर तेजी से असेंबल किया जा सकेगा। इससे आर्मी की शेल्टर से जुड़ी समस्या का हल निकलेगा। इनकी हीटिंग में कोई खर्च नहीं होगा। माइनस 20 डिग्री तापमान में भी बिना किसी हीट सोर्स के इनके भीतर तापमान 20 डिग्री पर चला जाएगा।

वांगचुक ने बताया कि ठंडी जगहों पर बिल्डिंग कॉस्ट 15 साल की हीटिंग के बराबर होती है। उन्होंने कहा कि सेना जवानों को गर्म रखने के लिए कितना तेल जलाती है और इससे कितना प्रदूषण होता है। यह स्थिति बदलने जा रही है।

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