India Russia Friendship: जब America भारत के लिए बन गया था मुश्किल, Russia ने हाथ थामकर हिंद को दी थी ताकत

0
471
India Russia Friendship
India Russia Friendship

India Russia Friendship: यूरोप (Europe) के दो सबसे बड़े देशों के बीच पिछले 11 दिनों से युद्ध चल रहा है। रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) एक दूसरे को हराने की चाह में काफी कुछ खो चुके हैं। यूक्रेन के नागरिक शराणार्थी बन गए हैं तो वहीं रूस के कई सैनिकों की मौत हो गई है। ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) दुनिया के देशों से मदद मांग रहे हैं। युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations) में कई बार आपात बैठक हो चुकी है जिसमें भारत ने कई बार हिस्सा नहीं लिया और लिया भी तो किसी देश की खिलाफत न करते हुए भारत ने युद्ध को गलत ठहराया है।

ऐसे में लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं कि भारत क्यों रूस द्वारा यूक्रेन पर किए जा रहे युद्ध के कदम की खिलाफत नहीं कर रहा है। इसे जानने के लिए 1971 में जाना होगा। हम यहां पर बात महज 1971 की करेंगे जब भारत के लिए अमेरिका और यूके आफत बन गए थे। उस समय रूस ने भारत की ढाल बनकर रक्षा की थी। इससे पहले और बाद में रूस कई बार भारत का साथ दे चुका है।

India Russia Friendship: पूर्वी पाकिस्तान में जुल्म

India Russia Friendship
India Russia Friendship

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को 24 साल हुए थे। पाकिस्तान अपने पूर्वी पाकिस्तान पर कहर ढा रहा था। 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा था जिसे पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान कहा जाता था। पाकिस्तान की सरकार पूर्व में रहने वालों के साथ क्रूरता कर रही थी। 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से लोग भाग कर भारत में शरण लेने लगे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मुश्किलें बढ़ने लगी थी। उस समय भारत की पहली और अब तक कि महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने की ठानी।

पूर्वी पाकिस्तान की जनता के साथ इतनी क्रूरता होने लगी थी कि ढाका यूनिवर्सिटी में 26 मार्च 1971 को बंगाली नेताओं और शिक्षकों को मौत के घाट उतार दिया गया। लोग अपनी जान बचाने के लिए भारत के शरण में आने लगे थे।

India Russia Friendship: इंदिरा गांधी का प्लान “War”

India Russia Friendship
India Russia Friendship

इंदिरा गांधी ने 25 अप्रैल 1971 को कैबिनेट की एक अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में जनरल सैम मानेक शॉ भी मौजूद थे। गांधी ने शॉ को युद्ध की तैयारी करने का आदेश दिया। जनरल सैम मानेक शॉ ने इंदिरा गांधी को सुझाव देते हुए कहा कि बरसात आने वाली है। चारों तरफ पानी ही पानी होगा ऐसे में भारतीय वायु सेना लड़ने में विफल हो सकती है। मुमकिन है कि हम युद्ध हार जाएंगे। सैम ने इंदिरा गांधी से तैयारी के लिए समय मांगा। मीटिंग के बाद पूरी दुनिया को पता चल गया था कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच युद्ध होने वाला है। पर ये युद्ध अधिक समय तक नहीं चलने वाला है।

भारत इधर पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के लिए युद्ध की तैयारी कर रहा था उधर पाकिस्तान ने 3 दिसबंर 1971 को पाक के जंगी जहाजों ने भारत पर आक्रमण बोल दिया। फिर भारत सरकार ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने की ठान ली। पाक के हमले के बाद इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को ढाका की तरफ बढ़ने का आदेश दिया।

इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान एयरपोर्ट को मिट्टी में मिलाना शुरू कर दिया। भारतीय सेना और मुक्तिवाहिनी ने मिलकर पाकिस्तानी फौज को धूल चटा दी। यहीं से कहानी शुरू हुई नए बांग्लादेश की। पर पाक के राष्ट्रपति याहया खान ने भारतीय सेना को पश्चिम की तरफ से घेरने का प्लान तैयार किया लेकिन भारतीय सेना ने इसका जबाव तेजी से दिया और पूर्वी पाकिस्तान पर कब्जा करना शुरू कर दिया।

India Russia Friendship: पाकिस्तान का हमदर्द

India Russia Friendship
India Russia Friendship

4 दिसंबर 1971 को जब इंडियन नेवी ने ऑपरेशन ट्राईडेंट शुरू किया और कराची पोर्ट पर हमला कर दिया। जिसमें पाकिस्तान के पीएनएस खैबर को ध्वस्त कर दिया गया और इस ऑपरेशन में 720 के करीब पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद 8-9 दिंसबर को भारत ने ऑपरेशन पायथन चलाया। इस ऑपरेशन के दौरान मिसाइल जहाजों ने कराची के बंदरगाहों को निशाना बनाया और पाक के रिजर्व फ्यूल टैंक और उनकी नेवी के हेडक्वार्टर को ध्वस्त कर दिया।

दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध की बात यूनाइटेड नेशन तक पहुंच चुकी थी। खुद को हारता देख पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद मांगी, अमेरिका ने भारत को हराने के लिए अपनी जंगी जहाजों को अरब सागर में उतार दिया। भारत इस समय दोनों देशों की साझेदारी से अंजान था। 9 दिसंबर को जब पाकिस्तान ने सबमरीन पीएनएस हंगोर ने आईएनएस खुकरी को अरब सागर में मात दी और इसमें भारत के 18 ऑफिसर और 176 सेलर शहीद हो गए थे। इस युद्ध में अमेरिका के हिस्सा लेने से पहले भारत जीत की तरफ बढ़ रहा था।

India Russia Friendship: रूस भारत की बना ढाल
India Russia Friendship
India Russia Friendship

यूनाइटेड नेशन की तरफ से युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा गया। तब भारत का साथ देते हुए Russia ने वीटो कर दिया और युद्ध चलता रहा। उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन ने हेनरी किसिंगर को चाइना भेजा और चाइन को भारत को धमकाने के लिए कहा ताकि भारत का ध्यान भटक जाए। निक्सन ने पाक को जीत दिलाने के लिए अमेरिकी युद्धपोत को बंगाल की खाड़ी में उतार दिया था। उस समय देश के पास केवल आईएनएस विक्रांत था जो कि एंटरप्राइज के बेड़े से पांच गुना छोटा था। जब भारत को इसका पता चला तो इंदिरा गांधी ने रूस से मदद मांगी। रूस और भारत के बीच मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किए गए

हस्ताक्षर के बाद सोवियत संघ ने भारत की मदद के लिए प्रशांत महासागर में अपने 10th Operative Battle Group जंगी बेड़े को अमेरिकी बेड़े की तरफ भेज दिया। इसका काम अमेरिका की गतिविधियों पर नजर रखना था। रूस ने भारत का साथ देते हुए निक्सन की पूरी तैयारी को चौपट कर दिया। इसके बाद की कहानी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गई। उस पन्ने पर बांग्लादेश लिखा है।

संबंधित खबरें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here