पिछले दिनों झांसी के सरकारी अस्पताल में मरीज के कटे पैर को तकिया बना दिया गया था, उसके बाद खूब हो हल्ला हुआ। आरोपी डॉक्टर और नर्स पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन शायद डॉक्टरों ने इससे सीख नहीं ली। अब कुछ दिनों बाद ही ऐसा ही मामला मथुरा के जिला अस्पताल में देखने को मिला, जहां मरीज के खून से लथपथ पैंट को ही मरीज का तकिया बना दिया गया।

कहते हैं कि अस्पताल में मरीज को सकून मिलता है उसका इलाज होता है, देखभाल होती है लेकिन जो तस्वीरें सरकारी अस्पतालों की सामने आ रही है, वो चौंका देने वाली हैं। अस्पतालों में धरती के भगवान काम करते हैं, जो मरीजों को जीवन दान देते हैं लेकिन मथुरा के सरकारी अस्पताल में तो लगता है कि यमराज काम कर रहे हैं।

अस्पताल में गंभीर हादसे से घायल मरीज को उसके ही खून से लथपथ पैंट को सिरहाने पर रख कर तकिया बना दिया। रुह कपां देने वाले इस दृश्य ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी है। साथ में सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों की मानसिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

दर्द से करहाता-लंगड़ाता सतीश जब अस्पताल पहुंचा तो उसे क्या पता था कि उसके साथ ऐसी अमानवीय हरकत की जाएगी। मरीज दर्द से तड़प रहा था, लेकिन उसका इलाज करने कोई नहीं आया। मीडिया के पहुंचने पर वार्ड बॉय मरीज को लेकर पैदल ही चल पड़े। मीडिया के हस्तक्षेप के बाद स्ट्रेक्चर लाया गया और फिर आगे का इलाज शुरू हुआ।

इस पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि मरीज ने स्वयं पैंट अपने सर के नीचे लगा लिया था, हमारा कोई स्टाफ ऐसा क्यों करेगा। वहीं जब एडीएम रविंद्र कुमार ने  जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया तो कई खामियां पाई गई। डॉक्टर अस्पताल में समय पर नहीं पहुंचे दिखे, साथ ही पैथोलॉजी लैब बंद मिला। मरीजों को दोपहर का खाना नहीं मिलने की शिकायत मिली, ऐसे में एडीएम ने जांच के आदेश दे दिए हैं।

झांसी के बाद अब मथुरा में सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ हुए अमानवीय व्यवाहर ने डॉक्टरों की सोच और काम करने की शैली पर तो सवाल खड़े कर ही दिए हैं, साथ में स्वास्थ्य सेवा की जर्जता को भी सामने ला खड़ा किया है।

ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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