बागपत जिले में सुविधा संपन्न स्कूलों की तलाश करते हुए हम खेकड़ा ब्लॉक के सिंगोली तगा पहुंचे। यहां एक ही बड़े परिसर में दो स्कूल हैं। बाहर से स्कूल की इमारत अच्छी नजर आती है। दीवार पर लगे ‘सब पढ़ें, सब बढ़े’ का स्लोगन लिखा है लेकिन जब हम स्कूल के अंदर दाखिल हुए तो सुविधा का आभाव नजर आया ऐसे में ‘सब पढ़े, सब बढ़े’ का नारा खोखला नजर आने लगा। बच्चे बरामदे और क्लास रूम दोनों ही जगहों पर जमीन पर बैठ कर पढ़ रहे हैं।

आजादी के 71 साल बाद भी सरका बच्चों के लिए बेंच और डेस्क का इंतजाम नहीं कर सकी है। बेंच और डेस्क ना सही कम से कम सरकार बच्चों के लिए सुरक्षित क्लास रूम का व्यवस्था ही कर देती तो देश के नौनिहालों के सिर से मौत का खतरा तो टल जाता। यहां बच्चे जान जोखिम में डाल कर पढ़ने आते है।बच्चे जिस क्लास में पढ़ रहे है वो पूरी तरह से जर्जर है। दीवारों और छत पर दरारे आ गई हैं जिनसे बारिश होने पर पानी टपकने लगता है। हालात इतने खराब हो जाते हैं कि बारिश होने पर बच्चों को दूसरे रूम में बैठाना पड़ता है।

स्कूल की बिल्डिंग करीब 60 साल पुरानी है जो मरम्मत के अभाव में जर्जर हालत में है। यहां हर वक्त बच्चों की जान पर खतरा मंडराते रहता है ऐसे में नराज अभिभावकों ने धमकी दी है कि अगर स्कूल के हालात नहीं सुधारे तो वे अपने बच्चों को स्कूल से हटा लेगें।

भले ही स्कूल का क्लास रूम टपकता हो लेकिन शिक्षकों की कोशिशों से यहां बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराई जा रही है। स्कूल का चयन अंग्रेजी मीडियम स्कूल के हुआ है। जब हमने यहां बच्चों के सामान्य ज्ञान को परखा तो वे हमारी कसौटी पर खरे उतरे।

सिंगोली तगा के प्राथमिक स्कूल में दूसरी सुविधाओं की बात करें तो स्कूल में शौचालय अच्छी स्थिति में है। शौचालय में साफ-सफाई भी हमें ठीक नजर आई लेकिन जहां बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो वहां बाकी सभी चीजें बेमानी हो जाती है।

इसके बाद बागपत में स्कूली शिक्षा का जायजा लेने के लिए हमारा कारवां खेकड़ा ब्लॉक के गौना गांव पहुंचा और सबसे पहले हम यहां के पूर्व माध्यमिक आदर्श स्कूल पहुंचे। स्कूल के गेट पर आदर्श वाक्य लिखा है शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए। इस आदर्श वाक्य को पढ़ते हुए हम मेन गेट से स्कूल के अंदर दाखिल हुए।  गौना के पूर्व माध्यमिक आदर्श स्कूल की इमारत और माहौल को देखकर ऐसा लगा मानो ये कोई सरकारी स्कूल नहीं बल्कि प्राइवेट स्कूल है। स्कूल परिसर में पहुंचते ही फूलों की खुशबू से मन मोह लिया। यहां की हरियाली स्कूल में सुंदर माहौल बना रही है, पूरे स्कूल में पौधे लगाए गए हैं। गेट के सामने ही बच्चे नीम के पेड़ के नीचे अपने गुरूजनों से विद्या का ज्ञान लेते नजर आये। हालांकि ये स्कूल की मजबूरी है या पढ़ाई का प्राचीन तरीका ये समझने वाली बात है। इसके बाद यहां की व्यवस्था को परखने के लिए हम स्कूल के क्लास रूम में दाखिए हुए।

इस स्कूल में क्लास 6,7 और 8 तक की पढ़ाई होती है। जब हम क्लास 6 में पहुंचे तो देखकर अच्छा लगा कि यहां बच्चों के लिए बेंच और डेस्क की व्यवस्था थी, लेकिन जब हम क्लास 7 में पहुंचे तो बच्चों को जमीन पर बैठा पाया। एक ही स्कूल में दो व्यवस्था देख कर हैरानी हुई। स्कूल में दूसरी सुविधाओं की बात करें तो स्कूल में बच्चों के लिए प्रयोगशाला की व्यवस्था है और कंप्यूटर की सुविधा भी बच्चों को दी गई है। इतना ही नहीं यहां पर शौचालय से लेकर पीने योग्य पानी की अच्छी व्यवस्था है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस स्कूल में प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर सुविधाओं को विकसित करने के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली बल्कि स्कूल के चार शिक्षकों ने मिल कर इसका कायाकल्प किया है। यहां पर मौजूद चारों शिक्षकों ने हर महीने अपनी सैलरी से एक हजार रूपये स्कूल के लिए बचाते है और इसी बचत के बल पर दो साल में उन्होंने इस स्कूल को सुविधा संपन्न बना दिया।

शिक्षकों की कोशिशों से इस स्कूल में शिक्षा का स्तर अच्छा हुआ तो आसपास के इलाकों के अभिभावकों का भरोसा इस स्कूल पर बढ़ा। अब स्थिति ये है कि प्राइवेट स्कूल छोड़ कर बच्चे यहां दाखिला लेने लगे हैं।

एक और जहां सरकारी स्कूलों के छात्र इन्हें छोड़ कर प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं वहीं खेकड़ा ब्लॉक के गौना गांव के पूर्व माध्यमिक आदर्श स्कूलमें बच्चे प्राइवेट स्कूल छोड़ कर दाखिला ले रहे हैं। ये तस्वीर हमारे सरकारी स्कूलों के लिए शुभ संकेत हैं। अगर इसी तरह शिक्षक सरकारी स्कूलों की छवि को सुधारने में जुट गए तो वो दिन दूर नहीं जब सरकारी स्कूलों में संपन्न परिवार भी अपने बच्चों को पढ़ाने से गुरेज नहीं करेंगे। ये सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है और बागपत ही नहीं पूरे देश के लिए नजीर बन गया है।

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