झारखंड में भी असम जैसे हालात बन रहे हैं। झारखंड बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का दवा है कि झारखंड में 15 लाख से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिया हैं। ये घुसपैठिये  झारखंड में आदिवासी-मूलवासियों की जमीन के साथ-साथ उनके रोजगार के अवसर भी हड़प रहे हैं। गिलुवा के इस बयान के बाद झारखंड में सियासी बवाल मच गया है और राष्ट्रीय राजनीति में जल्द इस पर बहस शुरु हो सकती है ।

श्री गिलुवा की योजना झारखंड के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने को है ताकि झारखंड में भी एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) तैयार करने की मांग रखी जा सके। श्री गिलुवा ने साफ किया कि एनआरसी के मामले को किसी जाति-दल विशेष  से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब लोकसभा में खुद ममता बनर्जी ने इस मामले को उठाया था, लेकिन अब वे वोट बैंक की खातिर घुसपैठियों का  समर्थन कर रहीं है। इसलिए टीएमसी संसद में बाधा डाल रही है।

उन्होंने कहा कि असम एनआरसी का जा ड्रॉफ्ट तैयार हुआ है, वह बिल्कुल सही है। वह पीएम से मांग करेंगे कि झारखंड के साथ-साथ बंगाल और ओड़िशा में भी एनआरसी तैयार करायें। श्री गिलुवा ने कहा कि चाईबासा, जमशेदपुर में पाटका, हाता, मगदमपुर, सरायकेला, कपाली, जुगसलाई, पटमदा, बारीनगर के अलावा धनबाद, निरसा, साहेबगंज, पाकुड़, गाड्डा समेत संथाल परगना में घुसपैठियों की वजह से स्थानीय लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं। उन्हेंने राज्य सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन से भी कहा है कि वे ऐसे लोगों को चिह्नित करने का काम करें।

श्री गिलुवा का दावा है कि कई जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने झारखंडी युवतियों के साथ विवाह कर आदिवासी जमीन अपने नाम से करा ली है।

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