चारों ओर से पड़ रहे दबाव के सामने आखिरकार टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम सैयद नुरुर रहमान बरकाती झुक गये और उन्होंने अपनी गाड़ी से लालबत्ती हटा ली। शनिवार की सुबह बऊबाजार थाना के कुछ अधिकारी मौलाना बरकाती के घर गये और उनसे उनकी गाड़ी से लालबत्ती हटाने का अनुरोध किया। जिसे मौलाना बरकाती ने स्वीकार करते हुए अपनी गाड़ी से लालबत्ती हटा ली।

इससे पहले जब बरकाती को अपने वाहन से लाल बत्ती हटाने का आदेश दिया गया था तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया था। तब बरकाती ने कहा था, ‘मैं एक धार्मिक नेता हूं और कई वर्षों से लाल बत्ती का इस्तेमाल कर रहा हूं। मैं केंद्र के आदेश का पालन नहीं करता हूं। मुझे आदेश देने वाले वे होते कौन हैं? बंगाल में सिर्फ राज्य सरकार का आदेश ही प्रभावी है और मुझे ममता बनर्जी का आदेश प्राप्त है। मैं लाल बत्ती का इस्तेमाल करता रहूँगा। बंगाल में कोई इसे नहीं हटा सकता।’ उन्होंने संघ और मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की थी। इसके बाद बरकाती के खिलाफ केंद्र सरकार के आदेश की अवज्ञा करने के लिए पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी।

साथ ही बरकाती को चौतरफा आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा था। राज्य पुस्तकालय और सार्वजनिक शिक्षा मंत्री मौलाना सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने आदेश की अवज्ञा करने के लिए बरकती की आलोचना करते हुए कहा था कि शाही इमाम को लाल बत्ती की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह का काम इस्लाम के खिलाफ है, क्योंकि वह कानून के उल्लंघन का समर्थन नहीं करता है।’ इस पर टिपण्णी करते हुए शाही इमाम ने सिद्दीकुल्लाह को आरएसएस और बीजेपी का एजेंट करार दिया और उन पर जमात का पैसा घोटाला करने का आरोप लगाया। सूत्रों के अनुसार सूबे के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम भी बरकाती के घर गए थे और उन पर लाल बत्ती हटाने का दबाव बनाया था।

लाल बत्ती हटाने के बाद जब बरकाती से सरकारी और राजनीतिक दबाव के बारे में पूछा गया तो बरकाती के सुर कुछ बदले बदले से नजर आए। उन्होंने किसी भी दबाव से इंकार करते हुए कहा कि ‘नहीं, मेरे ऊपर लाल बत्ती हटाने का कोई राजनीतिक दबाव नहीं था। कोई भी राजनीतिक दल मुझ पर दबाव बना ही नहीं सकता। मैं शाही इमाम हूं और कानून का पालन करना मेरा कर्तव्य है।’ वहीं कोलकाता यातायात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि इमाम ने स्वेच्छा से लाल बत्ती हटाई है।

गौरतलब है कि 1 मई से केंद्र सरकार ने वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए लाल और नीली बत्ती की व्यवस्था खत्म कर दी है। इसके तहत प्रधानमंत्री को भी छूट नहीं दी गई है।

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