बोफोर्स घोटाले का जिन्न फिर से बाहर आ चुका है। इस मामले में मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार पर हीला-हवाली करने का आरोप पहले से लगता रहा है। अब सीबीआई ने भी इस मामले में मनमोहन सरकार पर निशाना साधा है। सीबीआई ने संसद की एक लोक-लेखा समिति को जानकारी दी है कि अगर यूपीए सरकार चाहती तो इस मामले के मुख्य आरोपी बिजनेसमेन ओतोविया क्वात्रोची के खातों को फ्रीज कर सकती थी।

सीबीआई ने बताया कि जब इस इटालियन बिजनेसमैन के खिलाफ कोर्ट की कार्यवाही चल रही थी, तब सरकार उनके यूके स्थित अकाउंट्स से पैसों की निकासी पर लगी रोक को जारी रखने का आग्रह कर सकती थी। लेकिन सरकार ने इस रोक को जारी नहीं रहने दिया।

यूके के क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारत सरकार को सलाह दी थी कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत क्वात्रोची के खातों पर लगी रोक को जारी रखा जा सकता है, लेकिन तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल भगवान दत्ता से इस सलाह को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए चाहती थी वे अपने इन पैसों को खातों से निकाल लें।

सरकार की दलील थी कि सीपीएस की ओर से लगाई गई धारा 82 को क्वात्रोची के खिलाफ ठोस सबूत नहीं माना जा सकता। इसके अलावा तत्कालीन सरकार पर यह भी आरोप हैं कि उसने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट जाने नहीं दिया था।

गौरतलब है कि संसद की लोक-लेखा समिति ने सीबीआई से पिछले महीने पूछा था कि इस मामले में 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाही समाप्त करने के फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गई। सीबीआई ने इसके जवाब में समिति को बताया कि वह हाईकोर्ट के आदेश का विश्लेषण करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करना चाहती थी। सीबीआई ने सरकार को भी पत्र के जरिए अपने इस आशय से सरकार को अवगत करा दिया था, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

आपको बता दें कि क्वात्रोची पर शक था कि वह बोफोर्स डील के फंड में करीब 1 मिलियन डॉलर और 3 मिलियन यूरो का गलत इस्तेमाल कर सकता था। इसके बावजूद उनके अकाउंट्स के खिलाफ यूपीए सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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