रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंको को लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। आरबीआई द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार, किसी भी ग्राहक का पैसा बैंक से चोरी होता है, डकैती, फ्राड या प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होता है तो इसकी भरपाई बैंक को करनी होगी।

वैसे अक्सर खबरें सामने आती रहती हैं कि, बैंक में चोरी हो गई। पैसा लेकर विदेश भाग गया या आग लग गई। इन सभी घटनाओं से बैंक में पैसा रखने वाले ग्राह को नुकसान होता था। लेकिन अब आरबीआई द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइंस के बाद कोई नुकसान नहीं होगा।

आरबीआइ के इस ताजा निर्देश को सभी सरकारी, गैर सरकारी बैंकों, ग्रामीण बैंकों, पेमेंट बैंकों आदि को मानना होगा। यह निर्देश बैंकों में सेफ डिपाजिट लाकर के संचालन में एकरूपता लाने और उनके साथ ग्राहकों व बैंकों के अधिकारों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है। 

यहां पढ़ें आरबीआई की पूरी गाइडलाइंस

ग्राहक द्वारा बैंक में रखा हुआ पैसा यदि किसी भी कारण वस चोरी हो जाता है या लूट लिया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी बैंक की होगी। बैंक को नुकसान की भरपाई करनी होगी।

वहीं भूकंप, बाढ़ और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लाकर को नुकसान होता है तो बैंक को कोई भरपाई नहीं करनी होगी।

आरबीआई ने कहा कि, बैंक को अपने लाकर को बचाने के लिए पूरी व्यवस्था करनी होगी। वहीं अगर बैंक कर्मचारी के कारण लाकर को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई बैंक को करनी होगी।

नुकसान की भरपाई उस लाकर के सालाना किराए का अधिकतम सौ गुना होगी। यानी, अगर किसी लाकर का सालाना किराया 10,000 रुपये है, तो प्राकृतिक आपदा को छोड़कर अन्य वजहों से लाकर नष्ट होने की स्थिति में बैंक को अधिकतम 10 लाख रुपये तक का भुगतान उस ग्राहक को करना पड़ेगा।

आरबीआई द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइंस में  19 फरवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए एक फैसले का भी ध्यान रखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि बैंकों को ग्राहकों के साथ यह लिखित समझौता करना होगा कि कि लाकर में किसी भी तरह की गैरकानूनी वस्तु नहीं रखी जाएगी। 

लाकर आवंटन के बारे में बैंकों को ज्यादा पारदर्शिता बरतने को कहा गया है। 

बैंक लाकर के साथ बैंक वाली बिल्डिंग की भी पूरी सुरक्षा का ध्यान रखना होगा।

यह भी पढें:

आरबीआई के पास है ‘जरूरत से ज्यादा’ अतिरिक्त पूंजी, बैंक 10 खरब सरकार को दे सकता है

सरकार आरबीआई के पीछे छिप नहीं सकती’ , केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here