साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो उन्होंने कहा था कि अब देश की किस्मत बदलने वाली है क्योंकि देश को नसीब वाला प्रधानमंत्री मिला है… उस वक्त पेट्रोल-डीजल के दाम घटे थे जिसे पीएम मोदी ने अपने नसीब से जोड़ दिया था… लोगों को लगा, कि अब चुनाव के वक्त किए गए अच्छे दिन के वादे भी पूरे होंगे… लेकिन अगर अब अपने प्रधानमंत्री की खुशनसीबी वाली बात मान लें तो अब पीएम मोदी के नसीब को क्या हो गया है… क्या अब मोदी का नसीब उन्हें धोखा दे रहा हैं …क्योंकि जिस पेट्रोल-डीजल के दाम घटने से उन्होंने खुद को नसीब वाला बताया था, उसी पेट्रोल-डीजल के दाम आज सातवें आसमान पर है…
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले वित्त वर्ष 2013-14 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल 105 डॉलर प्रति बैरल था, तब घरेलू बाजार में पेट्रोल की कीमत 70 रुपए प्रति लीटर थी… लेकिन आज जनता की बदनसीबी देखिए कि नसीब वाले प्रधानमंत्री के राज में क्रूड ऑयल 75 डॉलर प्रति बैरल है फिर भी पेट्रोल के दाम मुंबई में सबसे ज्यादा करीब 82 रुपए प्रति लीटर हैं … वहीं डीजल के दाम हैदराबाद में 71 रुपए के करीब पहुंच गए हैं … डीजल के भाव जिस ऊंचाई पर हैं वहां इससे पहले कभी नहीं रहें … शुक्रवार को देश के महानगरों में पेट्रोल और डीजल के दामों पर नजर डाले तो मुंबई में एक लीटर पेट्रोल के लिए लोगों को 81.93 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं…वहीं दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की खातिर 74.08 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं… कोलकाता में पेट्रोल 76 रुपए 78 पैसे प्रति लीटर की दर से मिल रहा हैं, वहीं चेन्नई में पेट्रोल का भाव 76 रुपए 85 पैसे है
डीजल की बात करें, तो इसकी कीमतें 71 रुपये के करीब पहुंच गई हैं…शुक्रवार को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में डीजल का भाव रिकॉर्ड 70.96 रुपये पर पहुंच गया है. वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में डीजल 65 रुपए 31 पैसे प्रति लीटर की दर से बिक रहा है… देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में डीजल 69 रुपए 54 की दर से मिल रहा है… कोलकाता की बात करे तो यहां डीजल 68 रुपए पैसा की कीमत पर बिक रहा है… चेन्नई में शुक्रवार को डीजल के भाव 68 रुपए 90 पैसा है…केरल की बात करें तो यहां एक लीटर डीजल के लिए लोगों को 70.86 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं…
दरअसल सब्सिडी खत्म करके यूपीए सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को बाजार के हवाले कर दिया था… इसका सीधा मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के भाव में उतार-चढ़ाव के मुताबिक ही घरेलू बाजार में पेट्रोल की कीमतें तय होंगी… लेकिन मौजूदा स्थिति को देखकर लगता है कि नरेंद्र मोदी की किस्मत उनका साथ नहीं दे रही है… मोदी सरकार अच्छे दिन का वादा करके आई थी लेकिन लगता है कि अब ये सिर्फ चुनावी जुमला ही रह गया है…पेट्रोल-डीजल की कीमत कम होने की उम्मीद पालने वाली आम जनता के हाथ कुछ नहीं लगा…
नसीब वाले प्रधानमंत्री ने टैक्स व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए भी पेट्रोल-डीजल के मामले में आम जनता का ख्याल नहीं रखा… जीएसटी लागू करते हुए सरकार ने पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे से बाहर रखा था…अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में रहता तो शायद देश की जनता इतनी बदनसीब नहीं होती… आज पेट्रोल-डीजल के दाम जिस तरह से सातवें आसमान पर है वो जमीन पर रहता…विपक्ष में रहते हुए पीएम मोदी को तेल का दाम बढ़ना बेहद अखरता था…
लोकसभा चुनाव के वक्त तेल की कीमतों के बढ़ने से मोदी इस कदर नाराज हुए थे कि उन्होंने इसे मनमोहन सिंह सरकार की बड़ी नाकामी मानते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग कर ली थी…लेकिन आज मोदी प्रधानमंत्री है और उन्हें तेल के दाम का बढ़ना बाजार की सामान्य घटना लगती है
इधर कुछ दिनों में कच्चे तेल के दाम में कई इजाफा हुए हैं लेकिन ये बढ़ोतरी ऐसी नहीं कि पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा उछाल आ जाए…इससे पहले भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम घटने के बावजूद घरेलू बाजार में दाम कम नहीं हुए थे इसकी एक बड़ी वजह तेल कंपनियों की सब्सिडी है… सरकार आम आदमी पर बोझ बढ़ाकर ऑयल कंपनियों के सब्सिडी के बोझ को कम कर रही है ताकि उनकी बैलेंस शीट मजबूत हो सके….
ऑयल कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत करने के लिए सरकार आम आदमी की जेब काट रही है….ये सही है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी खुशनसीबी से क्रूड ऑयल के दाम घटे थे लेकिन इसका फायदा सिर्फ तेल कंपनियों को हो रहा हैं… आम आदमी आज भी तेल के मामले में बदनसीब है…आम आदमी हर बार पेट्रोल पंप में पेट्रोल भराते वक्त वो यहीं सोचता है कि काश पीएम की खुशनसीबी का उन्हें भी फायदा मिलता…काश जनता भी नसीबवाले प्रधानमंत्री के राज में नसीबवाली बन पाती
-ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन