ये हंसी वादियां ये खुला आसमां। बात फिल्म के गाने की नहीं। चमोली के इन खूबसूरत वादियों की हो रही है। जो शब्दों के जैसे ही सुंदर और सुकून देने वाली हैं। यहां बर्फ से ढके पहाड़ को आसमान भी सलामी दे रहे हैं। प्रकृति मानो पहाड़ को गोद में लेकर उसका आसमान से मिलन करा रही हो। इन वादियों में इलाके की महिलाओं, बच्चों ने सेना के साथ कदमताल करते हुए इस आकर्षक नैसर्गिक सुंदरता को बचाने का संकल्प लिया। चमोली जिले के पिलंग गांव में सेना की इको टास्क फोर्स ने ग्रामीणों के साथ मिलकर वृक्षारोपण अभियान चलाया। बड़ी संख्या में महिलाओं ने दो कदम आगे बढ़कर सेना के जवानों का साथ दिया। जिससे वह और उनकी आने वाली पीढ़ी स्वच्छ हवा में सांस ले सके।

सेना की इको टास्कफोर्स ने लोगों को पर्यावरण और जंगलों को बचाने शानदार काम किया है। पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण कर रहे ग्रामीणों ने पौधों को अपने बच्चों की तरह पालने की शपथ ली है। जिससे पहाड़ की खूबसबरती में प्रदूषण का कोई दाग न लगे।

दुनिया आज ग्लोबल वार्मिंग पर चिंतन-मनन कर रही है। लेकिन, इसका समाधान निकालने की बजा इंसान अपने आराम के लिए प्रकृति को धुएं के गुबार में झोक रहा है। विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के अहम किरदारों में एक चण्डी प्रसाद भट्ट पर्यावरण दिवस पर औपचारिकता पूरी करने को लेकर चिंतित हैं। वाकई प्रकृति तो हमें सालोंभर देती है लेकिन हम तो उसे रस्मी तौर पर एक ही दिन देते हैं। जंगलों में लगातार लगती आग और ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशिर लगातार पिघलते जा रहे हैं। नदियों का जल स्तर कम होता जा रहा है। प्रख्यात पर्यावरणविद् चण्डी प्रसाद भटट भी मानते हैं कि, अंधाधुंध विकास के खेल में इंसान का भविष्य दांव पर है।

पिछले कई दिनों से धूं-धूं कर जलते जंगल पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। कहने को तो त्रिवेंद्र सरकार का वन महकमा भी है। लेकिन, इंसान कुछ नहीं कर रहा तो प्रकृति ही आगे आकर बारिश के जरिये उसे बुझा रही है। पर्यावरण के जानकारों के साथ ही किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए हिमालय, ग्लेशिर, जंगलों और पर्यावरण पर इसके पड़ने वाले दुष्प्रभावों को समझना फिजिक्स की किसी थ्योरी जैसा मुश्किल नहीं है। क्योंकि हवा और पानी बिना जीवन में सब खाक है।

                                                                                                                         एपीएन ब्यूरो

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