कश्मीर में महबूबा सरकार के गिरने के बाद मोदी की कश्मीर नीति पर गंभीर खड़े होने लगे हैं……. अब तक सरकारें तीन फ्रंट पर कश्मीर समस्या से जूझ रही थी….अव्वल तो सीमा पार से पाकिस्तान की दखलअंदाजी….दूसरे राज्य की सियासी मुश्किलें….और तीसरी आवाम से जुड़ी समस्याएं….जिसमें लोगों में पनप रहा आक्रोश और पत्थरबाजी की घटनाएं शामिल हैं…..तीनों समस्या अलग अलग हैं…इन्हे मोदी सरकार एक ही तरीके से निपटने की कोशिश में है…..जोकि बुनियादी तौर पर गलत है…..पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है…सर्जिकल स्ट्राइके की जा रही है…..गोली का जवाब गोली से दिया जा रहा है….लेकिन इसी बंदूक के बल पर प्रदर्शनकारियों को भी शांत करने की कोशिश की जा रही है….अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति तेज कर दी गई है…पाकिस्तान को अलग थलग करने की कोशिश है…..तो राज्य के सियासी समीकरण को भी बीजेपी अपने हित में रखने की रणनीति पर काम कर रही है… इन सब के बीच अटल की मुताबिक इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के मंत्र को भूला दिया गया है….आवाम को अपने साथ लेकर सरकार को चलना चाहिए…इस फ्रंट में सरकार फेल होती दिख रही है….पिछले दिनों अगर कश्मीर घाटी में विरोध-प्रदर्शन तेज हुए हैं, तो नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की कोशिशें भी बढ़ी हैं, इन सब के बीच मोदी सरकार अपनी लाइन स्पष्ट कर चुकी है…. अलगाववादियों से कोई बात नहीं होगी. पत्थरबाजों से सख्ती से निपटा जाएगा और घुसपैठ में मददगार पाकिस्तान सैन्य चौकियों पर सख्ती से प्रहार भी जारी रहेगा. इस बीच, कश्मीर में सियासी बयानबाजी के बीच साफ ऐलान किया गया कि युद्ध जैसे क्षेत्र में सेना को फैसले लेने की पूरी छूट है…..पत्थरबाजों को भी बख्शा नहीं जाएगा…
पहले एलओसी पर कार्रवाई को लेकर कोई ऐलान नहीं किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक का खुला ऐलान और अब पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करने का वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की परोक्ष युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली….
सरकार ने साफ कर दिया है कि देश के खिलाफ काम कर रहे किसी भी संगठन से बातचीत नहीं की जाएगी. कश्मीर के अलगाववादी संगठनों के लिए ये साफ संदेश है… कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की पाकिस्तान की कोशिशों को भारत जहां विफल करता आ रहा है, वहीं आतकंवाद फैलाने की उसकी साजिशों को बेनकाब करने की रणनीति को लेकर भी हाल के दिनों में भारत मुखर हुआ है….इन सब पहल तो ठीक है…लेकिन इस पालिसी में वाजपेयी की इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के मंत्र की गैरमौजूदगी खटक रही है…..और शायद मोदी सरकार की कश्मीर नीति की सबसे बड़ी कमी है
—संजय रमण सिन्हा