लोकपाल की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। इस बार सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल कर ये बताने का निर्देश दिया है कि लोकपाल की नियुक्ति कब तक होगी?

लोकपाल की नियुक्ति के मुद्दे सुप्रीम कोर्ट सख्‍त होता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 जुलाई) को 10 दिन में हलफनामा दायर कर लोकपाल की नियुक्ति के लिए लगने वाले समय और उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई आदेश जारी करने से पहले वह केंद्र का पक्ष सुनना चाहता है। सुनवाई को दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बताया कि लोकपाल कमिटी की मीटिंग जल्द होने वाली है और प्रक्रिया जारी है। अब मामले की सुनवाई 17 जुलाई को होगी।

यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद दबाव में लोकपाल और लोकायुक्त को लेकर संसद में कानून भी बना लेकिन साढ़े चार साल बाद भी लोकपाल की संस्था वजूद में नहीं आ पाई है। इस पर पहले तो कहा गया कि लोकपाल के चयन के लिए नेता प्रतिपक्ष की जरूरत है, जो मौजूदा सरकार में नहीं है इसीलिए लोकपाल के गठन में समस्या आ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी यानी कांग्रेस के सदन में नेता को नेता प्रतिपक्ष मानते हुए लोकपाल के गठन की प्रक्रिया पूरी की जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद एक बार लोकपाल की चयन समिति की बैठक भी बुलाई गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

लोकपाल की तरह राज्यों में लोकायुक्त का गठन होना था लेकिन राज्यों ने भी इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई और जहां गठन हुआ भी वहां इस संस्था को इतना कमोजर कर दिया गया है की ये किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है।

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