समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के खाली किए गए बंगले में हुई तोड़फोड़ के मामले में उच्च न्यायालय ने 10 दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की है।  आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उच्च न्यायालय द्वारा तोड़फोड़ की विस्तृत रिपोर्ट तलब करने के बाद मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

मेरठ के राहुल राणा द्वारा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ कार्रवाई किए जाने संबंधित उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायधीश बी के नारायण और राजीव गुप्ता की खंडपीठ ने शुक्रवार को नोटिस जारी किया। हालांकि सरकारी वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि तोड़फोड़ से हुए नुकसान का आंकलन कर लिया गया है और जल्द ही श्री यादव को नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने स्वीकार किया कि सरकारी एजेंसियों ने बंगले के कुछ हिस्से का जीर्णोद्धार कराया है। मामले की अगली सुनवाई तीन जुलाई को होगी।

इस बीच, तोड़फोड़ से हुए नुकसान का आंकलन करने वाले दल का नेतृत्व कर रहे अधिकारी के स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी पर जाने की जांच भी शुरू कर दी गई है। दरअसल, इस मामले ने तूल उस समय पकड़ा जब संपत्ति विभाग ने मीडिया की मौजूदगी में अखिलेश यादव के चार विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी बंगले का ताला खोला और दिखाया कि बंगले में किस कदर तोड़फोड़ हुई है। अखिलेश यादव ने सरकारी बंगले को उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का पालन करते हुए खाली किया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने को कहा था।

इस क्रम में मौजूदा गृह मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह अपना-अपना बंगला खाली कर चुके हैं हालांकि पूर्व कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को अभी सरकारी बंगला खाली करना है।

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