हरियाली के बीचों बीच मकान, प्रकृति से बातचीत, आसमान से दोस्ती। ये है रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज का सुन्दरखाल गांव, लेकिन अब इन परिवारों को यहां से जाना होगा। आखिर क्यों इसका सच जानने के लिये आईये दशकों पीछे चलते हैं। अल्मोडा, नैनीताल और पौडी गढ़वाल जिलों के अऩुसूचित जाति के भूमिहीनों ने सत्तर के दशक में सत्याग्रह किया। जिसके बाद इन भूमिहीनों को रामनगर के मालधनचौड़ में जमीन आवंटित की गई। लेकिन इसमें कई परिवार ऐसे थे जिन्हें वहां जमीन नहीं मिल सकी। उन्हें उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने 12 जून 1972 को रामनगर के सुन्दरखाल में बसा दिया। लेकिन अब हाई कोर्ट ने इन्हें अतिक्रमणकारी मानते हुए पूरे सुन्दरखाल गांव को खाली कराने के आदेश दिये हैं। जिसके बाद से ग्रामीण बैचेन हैं। ग्रामीणों की सबसे बडी समस्या है कि वह अचानक अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आखिर जायें तो कहां जायें। इनके दिलो दिमाग में छत छिन जाने का खौफ इस कदर है जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

सुन्दरखाल गांव रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज की धुलवा बीट का हिस्सा रहा है।लेकिन अब अधिकारी इसे कॉर्बेट नेशनल पार्क का क्षेत्र बता रहे हैं। कॉर्बेट प्रशासन अब इस क्षेत्र का सर्वे करा रहा है। सर्वे के दौरान जो भी अतिक्रमण पाया जायेगा। उसे वन अधिनियमों के तहत वहां से तत्काल हटा दिया जायेगा।

दशकों से इस सुन्दरखाल गांव में रह रहे इन ग्रामीणों को आज तक मूलभूत सुविधायें तक सरकार नहीं दे सकी। वहीं अब हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद इन परिवारों के सिर से छत उजड़ने का खतरा मंडरा रहा है। सरकार की गलतियों की वजह से ये एक बार फिर भूमिहीन हो जाएंगे। ऐसे में राज्य सरकार को इन्हें कहीं जमीन देकर बसाने की व्वस्था करनी चाहिए, जिससे इनके आगे कभी ऐसी नौबत नहीं आए। इनके बच्चे भी शांति और खुशियों के साथ भविष्य के सुनहरे सपने देख सकें।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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