मेरठ के हस्तिनापुर खादर क्षेत्र में बाढ़ से कई गांवों के लोग बेहाल हैं।पिछले 15 दिन से बाढ़ का दंश झेल रहें हैं लोगों की दिक्कतों में अचानक इजाफा हो गया है, इसकी वजह बिजनौर बैराज से 1 लाख 43 हजार क्यूसेक पानी को छोड़ा जाना है।वहीं स्वास्थ्य विभाग से लेकर सिंचाई विभाग लापरवाह बना है।जिससे लोग बीमार हो रहे हैं।अब, मीडिया में खबर आने के बाद मवाना उपजिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए है।जिसके बाद ग्रामीणों को गांव से आने-जाने के लिए नाव उपलब्ध कराई गई है।

मेरठ के हस्तिनापुर खादर क्षेत्र की तस्वीरें आजकल कुछ ऐसी हैं।पानी में डूबे खेत और पानी में डूबी सड़क।इलाके में बाढ़ का संकट और गहरा गया है।खादर क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव पिछले 15 दिनों से बाढ़ का दंश झेल रहें हैं।बाढ़ का प्रकोप सिंचाई विभाग और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के चलते लगातार बढ़ रहा है।हर साल लाखों खर्च करने के बाद प्रशासन फतेहपुर प्रेम और उसके पास बनाये जाने वाला तटबंधों से बाढ़ रोकने का हवा-हवाई दावा करता है।लेकिन ये बांध बेकार हो चुका है जिसके चलते खादर क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।खेतों में खड़ी फसलें खराब हो गईं हैं।देर रात फिर बिजनौर बैराज से 1 लाख 43 हजार क्यूसेक पानी  छोड़ा गया है।जिससे करीब आधा दर्जन से ज्यादा गांवो का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है।

फतेहपुर प्रेम और उसके पास बनाये जाने वाला तटबंधों की मरम्मत के नाम पर अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं।बाढ़ के पानी ने खेतों में की गई किसान की मेहनत पर पानी फेर दिया है।खाने पीने के सामान की भी कमी पड़ने लगी है।लोग खासकर बच्चे बीमार होने लगे है।लेकिन न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही प्रशासन को इससे मतलब दिख रहा है।

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