योग के पथ पर बढ़ती दुनिया में भारत अगुआ बनकर उभर रहा है। एकाग्रता और आत्मिक शक्ति का संचार करने वाले योग के प्रति विदेशियों का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है। हिमालय की तराई में बसे देवभूमि के प्रवेश द्वार माने जाने वाले हरिद्वार में योग के लिए आने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मोक्षदायिनी गंगा के किनारे बैठकर योग करने का आरक्षण विदेशियों को खींचे ला रहा है। कुछ तो ऐसे भी हैं जो यहां छुट्टियों में घुमने आए। लेकिन ऐसे आध्यात्मिक शांति की अनुभूति हुई की यहीं के हो कर रह गए।

हिमालय की गोद से निकली गंगा के शुद्ध और ताजे जल से अठखेलियां करतीं सूरज की किरणें। हरे-भरे पेड़ों से आच्छादित वातावरण और असंख्य मंदिरों से निकलने वाली घंटा घड़ियालों की मधुर आवाजें और मंत्रोच्चार के बीच योग की विभिन्न क्रियाओं का ये संगम विदेशों को खूब भा रहा है।

यूं तो दुनिया में भारत को योग गुरु के रूप में प्राचीन काल से ही देखा जाता रहा है। विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के जरिए काया को निरोग रखने का मंत्र इस दुनिया को भारतीय मनीषी पतंजलि ने ही दिया था। बाद के दिनों में विभिन्न योग गुरुओं ने योग को देश विदेश के कोने -कोने तक पहुंचाया और अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से इसे दुनिया में नई पहचान भी मिल गई है।

संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी खुद हर साल आम लोगों के साथ योग दिवस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। भारत सरकार की ये कोशिश भी है कि दुनिया में भारत की पहचान योग के जन्मदाता के रूप में हो। यूं तो योग के लिए कोई तय समय नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि सुबह के वक्त विशुद्ध वातावरण में योग क्रियाओं को किया जाए तो उसका लाभ ज्यादा मिलता है।

देवभूमि हरिद्वार का पूरा वातारण ही है योग के मुफीद बैठता है। कल-कल बहती गंगा के किनारे हरी भरी वादियों के बीच शांत माहौल में योग करने का आकर्षण कुछ  ऐसा है कि यहां एक बार जो आता है। .यहीं का हो के रह जाता है। दुनिया में भारतीय योग का डंका ऐसा बज रहा है कि अब तक योग पर रिसर्च करने वाले भी हरिद्वार आने लगे हैं। किसी को गंगा किनारे अद्वितीय आध्यात्मिक शक्तियों का आभास होता है तो किसी को योग में अनुशासन का रूप नजर आता है।

योग किसी धर्म, मजहब या पंथ से नहीं जुड़ा है, यह एक आध्यात्मिक विज्ञान है। ये शरीर के साथ इंद्रियों और मस्तिष्क का तारतम्य स्थापित करने की एक कला भी है। यह आंतरिक शक्तियों में समन्वय करता है, एकाग्रता बढ़ाता है और आत्मिक शक्ति को जागृत करता है। योग एक  ऐसा खजाना है जिसका जितना लाभ उठाया जाए उतना ही फायदा है। विदेशियों को तो ये बात समझ में आ गई है। लेकिन योग को जन्म देने वाले भारत में ही इसको लेकर सियासत जारी है। किसी को इसमें धर्म नजर आता है तो कोई इसे अपने धर्म के खिलाफ बताता है।

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