12वीं की बोर्ड परीक्षा में 99.9 फीसदी अंक लाने वाले हर एक विद्यार्थी का सपना होता है कि अच्छे कॉलेज में प्रवेश लेकर बेहतर करियर चुने। लेकिन एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले 17 वर्षीय वर्शिल शाह के लिए यह एक सपना सच होने जैसा था।
गुजरात बोर्ड में टॉपर होने के बावजूद, वर्शिल ने एक अलग ही रास्ता चुना। वर्शिल ने उच्च शिक्षा लेकर करियर बनाने की बजाए जैन भिक्षु बनने का फैसला लिया है। वर्शिल के चाचा नयनभाई सुठारी ने कहा कि वर्शिल 8 जून को दीक्षा लेगा। दीक्षा समारोह का आयोजन गांधीनगर में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि गत माह 27 मई को आए गुजरात हायर सेकेंड्री एजुकेशन बोर्ड के परीक्षा में वर्शिल ने टॉप किया है। टॉप करने के बाद भी उनके यहां कोई खास उत्सव नहीं हुआ था। वर्शिल का परिवार जैन धर्म का अनुयायी है और चकाचौंध की दुनिया से दूरी बनाकर रखता है।
वार्शिल के चाचा ने कहा, ‘वैसे तो परीक्षा परिणाम उसकी उम्मीदों के अनुरूप है, लेकिन दुनिया में शांति की स्थापना के लिए यही रास्ता बेहतर है।’ वर्शिल के पिता जिगरभाई और मां अमीबेन शाह आयकर विभाग में कार्यरत हैं। वर्शिल के माता-पिता अपने बेटे के इस फैसले से काफी खुश हैं। इतना ही नहीं वर्शिल की बड़ी बहन जैनिनी भी अपने भाई के इस फैसले में साथ है।
वर्शिल का परिवार जैन धर्म के बहुत बड़े अनुयायी हैं और बेहद सादगी के साथ जीवन व्यतीत करने में विश्वास रखते है। उनके घर में बिजली के ज्यादा इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। उनका मानना है कि बिजली बनाने की प्रक्रिया में कई जलीय जीव मारे जाते है, जो कि जैन धर्म के खिलाफ है। घर में टीवी और फ्रिज भी नहीं है। बिजली का इस्तेमाल सिर्फ तभी किया जाता है जब बहुत आवश्यक हो, जैसे रात में पढ़ाई।
नयनभाई सुठारी ने बताया कि वार्शिल तीन साल पहले मुनि श्री कल्याण रत्न विजय जी के संपर्क में आया और तभी से आध्यात्म की राह पर मुड़ गया। वह सफलता के लिए कड़ी मेहनत की बजाए शांत दिमाग को ज्यादा तरजीह देता है। वार्शिल को दीक्षा लेने के लिए अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने का इंतजार था।